ज्ञान,भक्ति, वैराग्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं- पंडित अखिलेश

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शनि मदिंर मे कथा पढते शास्त्री अखिलेश
शनि मदिंर मे कथा पढते शास्त्री अखिलेश
शनि मदिंर मे कथा श्रवण करती महिलाये
शनि मदिंर मे कथा श्रवण करती महिलाये

झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
शनिवार से नगर में 10 स्थानों पर भागवत सप्ताह की शुरुआत हुई। सुबह श्रद्धालुओं ने व्यास पीठ का पूजन अर्चन किया। उसके बाद व्यास पीठ पर आसीन होकर शास्त्रीजी ने कथा पढऩा शुरू किया। शनि मन्दिर प्रांगण में वृंदावन से पधारे शास्त्री अखिलेश ने कहा कि ज्ञान, भक्ति एवं वैराग्य एक दूसरे बिन अधूरे है। तीनो का संगम ही हमे भव से पार लगता है। भगवान जिस रूप में रखे उसी में खुश रहना ज्ञानी की सबसे बड़ी निशानी है। उन्होंने कथा के दौरान कहा की कलियुग में तप का सार खत्म हो गया क्योंकि इन्द्रिय संयम नही रहा। तीर्थ यात्रा का सार खत्म होने के पीछे उन्होंने काम भोग की अधिकता बताई। कथा का सार खत्म इसलिए हुआ की महज दिखावा बनकर रह गई। ध्यान इसलिए खत्म हुआ की पाखंड ज्यादा हो गया गुणवत्ता कम। इससे पूर्व अष्टमी की सध्या को महातम सुना गया। स्वर्णकार समाज, बाह्मण समाज, माहेश्वरी समाज, पचांल समाज,प्रजापत समाज,हरसोला वनवासी समाज तडवी फलिया अन्य समाज के द्वारा भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव मानाया जा रहा है। स्वर्णकार राम मंदिर में समाज द्वारा वृन्दावन आचार्य रामेश्वर नंदजी के श्री मुख से श्रीमद भागवत सप्ताह भौतिक सुख सुविधा से, छोटा सा त्याग करना कठिन है। शास्त्री जी कहा कि आज लोग भौतिक सुख सुविधाओ में लिप्त हो गए है जिसके कारन छोटा सा त्याग करना भी बहुत कठिन लगता है। उन्होंने बताया कि श्रीमद भगवत की रचना के लिए वेद व्यासजी ने ध्यान लगाकर 18000 श्लोक बोले जिसे गणेशजी ने लिपिबद्ध किया। साध्वी श्री ने कहा कि भगवत कथा का श्रवण पुण्यशाली ही कर सकता है।भागवत ग्रंथ में सभी देवताओं की कथा आती है इसलिए इसे सबसे महान बताया गया है।कथा सुबह 9 से 12 तथा दोपहर में 2 से 4 बजे तक 2 पाली में चलेगी।अंत में आरती उपरांत प्रसादी वितरण हुआ।

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