बालू रेत से महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए किया भगवान गौरी शंकर का पूजन

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झाबुआ लाइव के लिए पारा से राज सरतालिया की रिपोर्ट-
पारा में आज हरतालिका तीज पर अपने घरो और मंदिरों में महिलाओं ने सुन्दर झांकी में बालू रेत से शिव परिवार बनाकर भगवान गौरीशंकर का पूजन किया। पंडित संजय शर्मा जी ने बताया कि इस बार हरितालिका तीज पर तृतीया संग चतुर्थी और हस्त नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है और ऐसा संयोग व्रती के हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला माना जा रहा है। इस पूजा को करना जितना कठिन है, उतना ही कठिन है इसका व्रत रखना। क्योंकि इस व्रत को भी बगैर पानी के रखा जाता है। हरितालिका तीज धूमधाम से मनाई जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली सुहागिन महिलाओं का सौभाग्य अखंड बना रहता है और उसे सात जन्मों तक पति का साथ मिलता है।
हरतालिका तीज का यह है इतिहास-
इस व्रत को सबसे पहले शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती जी ने शादी से पहले किया था। इसलिए इस व्रत की बहुत मान्यता है। कहते हैं मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक ताप किया था और उन्होंने ये व्रत बिना पानी पिये लगातार किया था। जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। यह शिव-पार्वती की आराधना का सौभाग्य व्रत है, जो महिलाओं के लिए बेहद पुण्य और फलदायी माना जाता है।

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