सुप्रीम कोट॔ मे एक ओर बडी लडाई जीते ” सिलिकोसिस पीडित

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झाबुआ / अलीराजपुर Live डेस्क के लिए मुकेश परमार की EXCLUSIVE  रिपोर्ट ।  

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गुजरात की जिन फैक्ट्रियों में मध्यप्रदेष के सिलिकोसिस प्रभावितों ने काम किया उनमें में से 14 फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेष
प्रभावितों को प्रदान की गई राहत की सत्यता की जाँच तीन जिलों धार, अलीराजपुर झाबुआ जिला लीगल एड समितियाँ करेगी
सर्वोच्च न्यायालय ने सिलिकोसिस प्रभावितों की राहत का दायरा बढ़ा कर सिलिकोसिस मामले में हुई 238 के अतिरिक्त अन्य मौतों को भी शामिल किया है और उनके परिजनों को भी तीन लाख रुपयै प्रति मृतक को मुआवजा देने का आदेष दिया है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय में सिलिकोसिस बीमारी संबंधी याचिका पर सुनवाई चल रही है जिसमें न्यायालय ने 4 मई 2016 को मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर के 238 मृतकों के निकट संबंधियों में से प्रत्येक को 3 लाख रुपए का मुआवाजा भुगतान के आदेश दिए थे। इसके तहत मृतकों के निकट संबंधियों को एक लाख रुपए नगद तथा 2 लाख रुपए बैंक में फिक्स डिपाजिट किए जाने थे। अब कोर्ट ने याचिकाकर्ता की रिपोर्ट के आधार पर धार जिले की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी है।
मध्यप्रदेश के सिलिकोसिस प्रभावित झाबुआ व अलीराजपुर जिलों के कलेक्टरों द्वारा प्रस्तुत सिलिकोसिस पीड़ितों की पुनर्वास योजना पर न्यायालय में असंतोष जताते राष्ट्रीय मानव अधिकार की ओर से अधिवक्ता संजय पारीख ने कहा कि पीड़ितों के चिकित्सकीय, आर्थिक व समाजिक पुर्नवास की योजना बनाना चाहिए जिससे कि जिसमें प्रभावित विधवाओं और बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता प्रषांत भुषण ने कहा कि मध्यपद्रेष सरकार द्वारा प्रस्तुत पुनर्वास प्लान वास्तव में कोई विशेष प्लान होकर उसमें सिर्फ सरकार की चालू योजनाओं की जानकारी थी, जो कि प्रदेष के सभी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए उपलब्ध है। सरकार ने सिलिकोसिस प्रभावितों के अलग से कोई योजना ना बनाकर सिर्फ आम गरीबों को मिलने वाली योजनाओं व इंदिरा आवास जैसी योजनाएं लोगों को देकर पुर्नवास के नाम पर खाना पुर्ति की है।
इसलिए न्यायालय ने धार, अलिराजपुर, झाबुआ की जिला लीगल एड कमिटियों को निर्देश दिया कि वे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 4 मई 2016 के प्रकाश में सरकार द्वारा प्रदान की गई राहत की सत्यता का परीक्षण तथा सिलिकोसिस से पीड़ितों की स्थिति स्वयं पीड़ितों से मिलकर जाने व सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुर्त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, सिलिकोसिस पीड़ित संघ की रिपोर्ट को संदर्भ में रखा जाए।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में गुजरात के गोधरा व बालासिन्नौर की 30 फेक्ट्रियों की स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया कि 16 फेक्ट्रियाँ सभी सुरक्षा मापदण्डों को पूरा नहीं कर रही हैं तथा शेष 14 फेक्ट्रियां या तो आंषिक रुप से बंद हैं या पुरी तरह से बंद है। इस पर न्यायालय ने सवाल किया कि क्यों न इन 14 फेक्ट्रियों को बंद कर दिया जाए, न्यायालय ने इन 14 को बंद करने की कार्यवाही तथा 16 फेक्ट्रियों जो केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक के अनुसार कार्य नही कर हरे है उन पर गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को आदेष दिया है कि अगले चार सप्ताह में एक्षन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करे। साथ ही न्यायालय ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेष दिया है कि दिल्ली राजस्थान, मध्यप्रदेष, पांडीचेरी, हरयाण, झारखण्ड इन 6 राज्यों में कार्यरत खदानों पर भी अपनी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करे जहाँ कि सिलिकोसिस बीमारी का प्रभाव है।
सिलिकोसिस प्रभावित संघ के दिनेश रायसिंह व करमसिंह ने प्रसन्नता व्यक्त की है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से अब प्रदेश के दुसरे सिलिकोसिस प्रभावितों भी राहत मिलने की संभावना बढ़ गई है।
आज की सुनवाई में विभिन्न संस्था / संगठनों जैसे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, प्रसार, सिलिकोसिस पीड़ित संघ, केएमसीएस आदि की रिपोर्ट एवं अलीराजपुर व झाबुआ कलेक्टर के साथ ही मध्यप्रदेष सरकार द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्रों का संदर्भ लिया गया।
याचिका की सुनवाई जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की बेंच ने सुनवाई की तथा याचिकाकर्ताओं व मानवाअधिकार अयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण, श्री संजय परिख तथा एमी शुक्ला ने पक्ष रखा।
न्यायालय ने अन्य शपथपत्रों पर सुनवाई करते हुए कहा कि 7 राज्यों दिल्ली राजस्थान, मध्यप्रदेष, पांडीचेरी, हरयाण, झारखण्ड व गुजरात में सिलिकोसिस पीड़ितों की स्थिति व उनको दी गई चिकित्सकीस सहायता व मुआवजा पर विभिन्न स्वास्थ्य विषेषज्ञों व संस्थानों को भी रिपेार्ट देने के लिए कहा गया है।

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