खवासा। आज यहाँ सुबह सुबह भगोरिये का रंग फीका रहा। अधिकांश लोगो के पलायन कर जाने के कारण हाट में ग्रामीणों की उपस्तिथि कम रही। कमजोर ग्राहकी से दुकानदारों को भी निराश होना पड़ा। होली के पहले आने वाले इस हाट को त्योहारिया हाट और गुलालिया हाट भी कहा जाता है।
लोगों ने सुबह से ही भगोरिये को लेकर अपनी तैयारी कर ली थी किन्तु भगोरिये के फीके रंग ने उनके चेहरे का भी रंग उडा दिया। हालांकि दोपहर बाद भगोरिये ने अपना रंग जमाया। आसपास के गावों से करीब 10 ढोल मांदल के साथ पहुंचे ग्रामीणों की टोलियों ने रंग जमाते हुए लोगो का मन मोह लिया। ढोल मांदल की थाप पर थिरकती आदिवासियों की टोलियो ने राहगीरों को भी रूककर देखने हेतु मजबूर कर दिया।
शाम को जो रंग जमा उसने क्षेत्र संस्कृति प्रेमियों को खुश कर दिया कुछ संस्कृति प्रेमियों का मानना था कि काफी बरसो बाद भगोरिये में इतने ढोल मांदल देखने को मिले।