उल्लास ओर मस्ती का पर्व भगोरिया आज से पश्चिम मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ-अलीराजपुर-बडवानी-धार-एंव खरगोन जिले मे शुरु हो गया है यह पर्व अगले एक सप्ताह तक चलेगा..इस दोरान साप्ताहिक हाट बाजारो मे भगोरिया हाट बाजार मे मेले लगेगे..जिसमे हजारो आदिवासी समाज के लोग परंपरागत वेशभूषा में परंपरागत वाद्य यंत्रों के साथ आकर इन भगोरिया मेलो मे शामिल होंगे… आज से आदिवासी अंचलो मे परंपरागत वाद्य यंत्रों ढोल-मांदल ओर बांसुरी के साथ साथ घुंघरुओ की आवाज सुनाई देनी शुरु हो गई… होली जलने के ठीक एक सप्ताह पहले शुरु होने वाला भगोरिया पर्वएक सप्ताह तक चलता है इस बार 27 फरवरी से 5 मार्च यह भगोरिया पर्व मनाया जायेगा. स्थानीय आदिवासी समाज के प्रमुखों के अनुसार यह यह बडा पर्व है साल भर के काम काज से निपटने के बाद आदिवासी लोग होली की खरीदी के लिऐ आपस मे मिलते है ओर मोज मस्ती कर खुशीया मनाते है.
दरअसल, भगोरिया पर्व को आदिवासी अंचल के बाहर अलग पहचान मिली हुई है बाहरी लोग इस पर्व को आदिवासीयो का वैंलेटाइन वीक मानते है जिसमे युवक युवतियाँ सज धजकर आते है. युवक-युवती को पंसद कर उसे पान की पेशकश करता है अगर युवती यह पान खा लेती है तो यह माना जाता है कि वह उसके साथ के लिऐ राजी है ओर वह उसे भगा ले जाता है इस तरीके से भगाने को ही “भगोरिया” कहा जाता है आज भी कई लोग भगोरिया को इसी रुप मे जानते है ।
भगोरिया पर्व को लेकर अब आदिवासी समाज के युवाओं मे चेतना आ रही है वह पोस्टर लगाकर इस परंपरागत पर्व को भगोरिया ना कहकर भोंगरिया कहने की अपील कह रहे है साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस पर्व मे आदिवासी युवक युवतियाँ भागते नही है यह तो बाहरी लोगो द्वारा इलाके को बदनाम किया जा रहा है भगोरिया नही भोंगरिया के पैरोकारो की माने तो यह साल भर मे खुशी का मौका होता है जेब में पैसे और खेतों में ताडी और महुआ तैयार रहता है।