इंदौर संभाग में ‘अभूतपूर्व’ परीक्षा परिणाम झाबुआ लाइव डेस्क- पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल अंचल में इस बार हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी परीक्षा के साथ-साथ जेईईईटी की परीक्षा में जिस तरीके से असाधारण परिणाम आए है उससे साबित होता है कि इस अंचल में सहायक आयुक्त रह चुके और अब ट्रायबल डिपार्टमेंट के संभागीय उपायुक्त बीजी मेहता की रणनीति कारगर रही रही है। हमने बीजी मेहता से कई मुद़्दों पर बात की प्रस्तुत है उनके साक्षात्कार के प्रमुख अंश।
सवाल-इंदौर संभाग के जिलों में इस बार 10वीं-12वीं में अच्छे नतीजे देखने को मिले, कैसे संभव हुआ यह?
जवाब-हां इस बार बेहद सकारात्मक नतीजे आए है। इस बार 10वीं में इंदौर संभाग ने आदिवासी विकास विभाग की स्कूलों में सफलता का प्रतिशत 65 प्रतिशत रहा। जबकि विगत वर्ष यह 51 प्रतिशत था। इसी तरह 12वीं के नतीजे इस बार 78 फीसदी रहे जबकि विगत वर्ष 67 फीसदी था। अच्छी बात यह रही कि हमारी स्कूलों के कई बच्चें स्टेट लेवल की मेरिट लिस्ट में भी आए और उनमें ज्यादातर ट्रायबल है। कई स्कूलों में ट्रायबल बच्चों ने अच्छे अंक प्राप्त किए है।
सवाल-सवाल यही है कि आखिर इतना प्रतिशत और अच्छे अंक कैसे संभव हुआ?
जवाब- दरअसल इसकी व्यापक कार्य योजना बनाई गई थी, सबसे पहले ई-अटेंडेंस ने शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति स्कूलों में संभव की उसके बाद लगातार निगरानी के जरिये, स्पेशल क्लास लगाकर, मोबाइल टीचिंग के जरिये, शिक्षकों को आधुनिक प्रशिक्षण के जरिये अध्ययन क्षेत्र की कठिन अवधारणाओं को समझाया गया तथा बच्चों के कोशल विकास पर ध्यान दिया गया। यहीं कारण बेहतर नतीजों के है।
सवाल-क्या विगत वर्षों में कमजोर नतीजे देने वाली स्कूलों के कान खिंचे गए थे?
जवाब- यह जरूरी था विगत वर्ष 181 संस्थाएं इंदौर संभाग में ऐसी थी जो हमारें विभाग के अंतर्गत आती है और जिनके हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी के नतीजे 30 प्रतिशत से कम थे। हमने उन्हें नोटिस दिया, कुछ पर कार्रवाई भी की गई, निंदा की सजा भी दी गई। हालांकि हम यह भी जानते थे कि यह वह संस्थाएं थी जो नई नई खुली थी और जिनमें संसाधन कम थे। लेकिन कान खिंचाई का फायदा इस बार देखने को मिला। इस बार मात्र 42 संस्थाएं ही ऐसी चिह्नित हुई है जहां परिणाम 30 फीसदी से कम है।
सवाल-प्रतियोगी परीक्षाओं में भी आदिवासी जिलों से परीक्षार्थी सफल हो रहे है, इनकी सफलता में आपके विभाग का क्या योगदान है?
जवाब- शासन की योजनाओं के तहत आदिवासी विकास विभाग प्रतियोगी परीक्षाओं में कई स्तर पर परीक्षार्थियों की हर तरीके से मदद करता है। यही कारण है कि उन्हें मॉटीवेशन के साथ-साथ वह माहौल मिलता है जिसमें वे मेहनत कर सफल होते है। विगत कुछ वर्षों में ही इंदौर संभाग में 400 से ज्यादा विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होकर आज विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य कर रहे है।
सवाल-जेईईईटी में भी अच्छे बच्चें निकले है, उन्हें क्या मदद देते है?
जवाब-इस बार संभाग में 180 बच्चें इस परीक्षा में कामयाब हुए है जो विगत वर्ष की तुलना में 3 गुना अधिक है। इन बच्चों को हर तरीके की सुविधा और विशेष कोचिंग सरकार की ओर से आदिवासी विकास विभाग उपलब्ध करवाता है और इससे प्रतिभावान बच्चें सामने निकलकर आते है और कामयाब होते है।