झाबुआ लाइव के लिए काकनवानी से राहुल पंचाल की रिपोर्ट
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर काकनवानी पर आज दशमी के पर्व पर महिलाओ द्वारा पीपल के वृक्ष की पूजा कर उसके फेरे लगाकर घर एवम् परिवार के लिए सुख सम्रद्धि की प्राथना की गई। पश्चात पंडित द्वारा दशा माता व्रत की कथा सभी को सुनाई गई जिसमे एक राजा और एक रानी की कहानी बताई रानी द्वारा दशा माता का व्रत किया गया रानी द्वरा दशा माता का धागा पहना गया। दोनों खाना खाने बेठे अचानक राजा की नजर रानी के गले पर पढ़ी जो धागा पहना हुआ था उसे देख राजा ने कहा रानी तू ये धागा निकाले गी जब में खाना खाऊंगा।रानी ने राजा की बात सुनकर धागा निकल दिया। धागा निकलते ही दिनों दिन राजा की दशा खराब होती गई।वह वनवास निकल गया और वह हरे भरे बगीचे में जाकर बेठा तो वह बगीचा भी पूरी तरह सुख गया।और किसी व्यक्ति द्वरा उसकी बहन को कहा गया की तेरे भाई और भाभी बहन भी बैठे हैं। बहन द्वारा खाने में जवार की रोटी कढ़ी और प्याज भेजा। बगीचा सूखने के कारन भोजन को खडडा खोदकर वाही पर गाड़ दिया और वहा से निकल गया रास्ते में गवली गाय का दूध निकलते हुए मिला तो गाय भी सूख गई फिर अगली दशा माता आई तो रानी द्वरा फिर से व्रत किया गया।तभी उस खड्डे को खोदकर देखा तो प्याज चांदी का बन गया और रोटी सोने की बन गई और बगीचा फिर से हरा भरा हो गया और गाई भी अधिक दूध देने लगी फिर राजा बोला की मेरी ऐसी दशा आई ऐसे किसी की भी दशा नहीं आए दशा माता।इस पूरी कथा में दशा माता के धागे के बारे में बताया गया।यह धागा अगली दशा माता तक महिलाए संभल कर रखती है।
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