जिसको भगवान का आशीर्वाद व कृपा मिल जाए उसके जीवन में कुछ भी असंभव नहीं : पंडित गोपालकृष्ण महाराज

चंद्रशेखर आजाद नगर| जिसको भगवान की कृपा व आशीर्वाद मिल जाये उसके जीवन में कुछ भी असंभव नहीं,उसका जीवन धन्य हो जाता हैं|नरसिंहजी की कथा “नानीबाई को मायरो” इसका जीवंत उदाहरण हैं जो बालक पैदाईशी बोल व सुन नहीं सकता था तथा लोग उन्हें गुंगा व बहरा कहते थे लेकिन भगवान की उन पर ऐसी कृपा हुई कि उनका जीवन ही बदल गया|वह बालक आगे जाकर नरसिंह मेहता के रूप में जाना जाने लगा|सच्चे संत व गुरू भगवान के प्रतिनिधि होते हैं सदैव उनका आदर करना चाहिए|प्रतीक्षा में प्रतिक्षण साधना होती हैं जैसे राम को पाने के लिये सबरी ने की व अंततः उन्हें भगवान मिल ही गये|

उक्त बात चंद्रशेखर आजाद नगर आजाद ग्राउंड में शिवशक्ति महिला मंडल के समग्र प्रयास से आयोजित पांच दिवसीय “नानी बाई को मायरो” कथा के पहले दिन उपस्थित कथा श्रवण कर्ताओं को परम पूज्य राष्ट्रीय संत पंडित गोपाल कृष्ण महाराज ने व्यासपीठ से कही|पंडित गोपालकृष्ण महाराज ने कथा के बताया कि भगवान कृष्ण की प्रेरणा से मीराबाई ने “नानीबाई का मायरो”कथा लिखी|यह भगवान के भक्त की कथा हैं| मातृशक्ति सदैव वंदनीय रही हैं इसलिये स्वंय ब्रम्हा ने वेदों के लेखन से पहले मातृ शक्ति को प्रथम प्रणाम करते हुवे मातृ-पितृ देवों भव कहते हुवे पहले मातृ शक्ति को प्रणाम किया हैं| उन्होंने प्रसंगवश कहा कि जिन पर भगवान की कृपा होती हैं वे किसी भी रूप में भगवान की कथा श्रवण करते हैं जिन पर कृपा नहीं होती वे दुःखी होकर मुसीबत में यहां वहां अस्पताल,कोर्ट कचहरी के चक्कर में फसे रहते हैं| यहां जो कथा श्रवण करने के लिये उपस्थित हुवे हैं उन पर निश्चित ही भगवान की कृपा हैं वे सभी सौभाग्यशाली हैं,आप सभी बधाई के पात्र हैं |भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं उनके पूजन से सारे मंगल कार्य सफल हो जाते हैं|सभी देव कहलाए लेकिन शिव ने अमृत मंथन से निकला विष धारण किया इस लिये महादेव कहलाएं हैं|जीवन में वही व्यक्ति महान बनता हैं जो अपमान रूपी विष को शिव की तरह धारण कर लेता हैं| दुनिया में वो लोग सभी सौभाग्यशाली हैं जिनके साथ माता पिता होते हैं| हमेशा जीवन में संकट में डालने वाले व संकट में साथ देने वाले दोनों लोगों को कभी भी भूलना नहीं चाहिए|जीवन में सत्संग नहीं हो वहां आनंद नहीं हैं,जहां सत्संग हो वहां अहंकार को छोड़ बिना बुलाएं चले जाना चाहिए जैसे हनुमान |कथा के पहले दिन नानीबाई का माहेरो कथा कहते हुवे विद्वान पंडित ने नरसिंहजी के बचपन की कथा सुनाते हुवे उनके मुक बधिर होने का वर्णन सुनाते हुवे उनकी व्यथा कथा करूणामय तरीके से बताई| भारतभूमि देव भूमि हैं,संतों की भूमि हैं यहां जिसका जन्म होता हैं वह धन्य हैं|

कथा के पहले दिन की कथा का प्रारंभ देर शाम नगर के राम मंदिर चौराहे से बैंड बाजों के साथ भव्य चल समारोह के रूप में हुई जो आजाद ग्राउंड में कथा स्थल पर पहुंची जहां भक्तों ने बडी़ संख्या में सभी ने पहले दिन की कथा का श्रवण किया|कथा का समापन आरती प्रसादी के साथ हुआ|

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