आलीराजपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आलीराजपुर द्वारा पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में ममता बनर्जी के संरक्षण में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन कर डिप्टी कलेक्टर निधि मिश्रा को राष्ट्रपति के नाम पत्र सौंपा।
विभाग संयोजक निलेश सस्तिया ने बताया की विगत कुछ वर्षों से पश्चिम बंगाल के उत्तर चौबीस परगना जिले के संदेशखाली क्षेत्र की महिलाओं के साथ यौन शोषण, उनकी सामूहिक अस्मिता का हनन एवं उनके परिवारों पर सुनियोजित अत्याचार राज्य सरकार द्वारा संरक्षित अपराधियों द्वारा किया जा रहा है। अभाविप मानवता को शर्मसार करने वाली संदेशखाली घटना से आहत है और इसकी कठोरतम भर्त्सना करती है।
विगत 10 फरवरी 2024 को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस के संदेशखाली दौरे के कारण इस वीभत्स शोषण की सच्चाई वृहद् जनमानस के समक्ष आई। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा हिन्दू घरों से जबरन नाबालिग कन्याओं व महिलाओं को चिन्हित कर उनका भयपूर्वक अपहरण कर राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालय में लाकर अत्याचार, दुराचार करने के कई जघन्य मामले सामने आये हैं। पीड़िताओं में अधिकांश महिलाएं अत्यंत पिछड़े एवं अनुसूचित वर्ग की हैं और अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की अति से तंग आकर कई परिवार संदेशखाली से पलायन करने को मजबूर हैं। पश्चिम बंगाल राज्य की महिला मुख्यमंत्री के संरक्षण से वर्षों के शारीरिक एवं मानसिक शोषण से तंग आकर संदेशखाली की हज़ारों महिलाएं आज राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलनरत हैं।
चूँकि मुख्यमंत्री के संरक्षण में राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा संदेशखाली की महिलाओं का शोषण हो रहा है और राज्य की पुलिस उचित कानूनी कार्रवाई करने में विफल रही है; इसलिए अभाविप की यह माँग है कि इन महिलाओं को न्याय दिलाने में आपके द्वारा हस्तक्षेप किया जाए। न्याय की इस मुहिम में माननीय राज्यपाल, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के हस्तक्षेप का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् आपसे यह निवेदन करती है कि:
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राज्य सरकार की संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए संदेशखाली के पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कराई जाये एवं दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की जाये।
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संदेशखाली की महिलाओं के ऊपर हो रही हिंसा एवं उनकी सामूहिक अस्मिता के हनन पर अविलम्ब अंकुश लगाया जाये।
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महिलाओं के ऊपर हुई हिंसा एवं दुराचार की घटनाओं की वास्तविकता को निर्भयतापूर्वक शासन, प्रशासन एवं न्यायिक संस्थानों तक पहुंचाने हेतु हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
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न्याय की सुगमता हेतु पीड़ित महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान कराई जाये।
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वर्षों के मानसिक शोषण से धीरे-धीरे उबरने हेतु इन महिलाओं को मनोचिकित्सकों द्वारा परामर्श सत्रों की भी सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
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भय-मुक्त संदेशखाली बनाने में केंद्रीय बलों की प्रतिनियुक्ति की जाये ताकि परिवारों के पलायन पर विराम लगाया जा सके।
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