शहर के विभिन्न स्कूलों में अणुव्रत गीत का सामूहिक संगान किया गया और संकल्प भी लिए गए

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झाबुआ। तेरापंथ धर्म संघ के नवमें आचार्य , आचार्य श्री तुलसी अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक थे । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य इंसान अहिंसक ,संयमी और सदाचारी बने । अणुव्रत अमृत महोत्सव के गौरवशाली अवसर पर अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वाधान में व अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के सहयोग से संपूर्ण देश में 18 जनवरी को अणुव्रत गीत का सामूहिक संगान व सामूहिक संकल्प कार्यक्रम का आयोजन किया गया । शहर में भी विभिन्न स्कूलों में भी अणुव्रत गीत का सामूहिक संगान किया गया और अणुव्रत के नियमों के सामूहिक संकल्प भी लिए गए ।

1 मार्च 1949 को तेरापंथ धर्मसंघ के नवमें आचार्य व महान संत आचार्य श्री तुलसी ने राजस्थान के सरदार शहर कस्बे से अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया था । जन-जन में मानवीय मूल्यों को प्रतिस्थापित करने के  पवित्र उद्देश्य से अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया था । इस आंदोलन के द्वारा आचार्य श्री तुलसी ने जनता को अहिंसा, नैतिकता व नशा मुक्ति का संदेश दिया था । विश्व की अधिकांश समस्याओं का कारण असंयम है । अणुव्रत गीत हमें संयममय जीवन की ओर प्रशस्त करता है नैतिक एवं चारित्रिक मूल्य ही किसी समाज एवं देश को महान बनाते हैं ।  इन मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए अणुव्रत गीत उत्तम प्रेरणा का अमोघ साधन है । जब तक व्यक्ति स्वयं अनुशासित नहीं बनता , तब तक विश्व को सुंदर बनाने की परिकल्पना करना निरर्थक है । अणुव्रत गीत के माध्यम से अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वाधान मे व अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के सहयोग से , संपूर्ण देश में 18 जनवरी को अणुव्रत गीत का सामूहिक संगान व सामूहिक सकंल्प ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।इसी कड़ी मे शहर के अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल ,चेतन्य पब्लिक स्कूल , शारदा विद्या मंदिर , कैथोलिक मिशन स्कूल , नयू पलाश कानवेंट, आदि स्कूलों में सुबह करीब 10:00 बजे प्रार्थना के बाद तेरापंथ समाज के महिला मंडल ,युवक परिषद व सभा के सदस्यो विभिन्न ग्रुपों  के माध्यम से  विभिन्न स्कूलों में पहुंचकर सर्वप्रथम अणुव्रत के बारे में बताया । विशेष रूप से अणु अर्थात छोटे-छोटे ,  व्रत अर्थात नियम…. छोटे-छोटे नियमों का पालन करना ही अणुव्रत कहलाता है । तेरापंथ समाज के सदस्यों द्वारा सभी स्कूलों में बच्चों से अणुव्रत नियमों का पालन को लेकर बताया यदि हम इन नियमों का अपने जीवन में पालन करते हैं तो जीवन में सारी बुराइयों को दूर कर सकते हैं साथ ही एक अच्छा इंसान बना सकते हैं और सफल व्यक्ति भी । इसमें विशेष रूप से तीन नियमो का वाचन किया गया । 1. में सद्भावना पूर्ण व्यवहार  करने का प्रयास करूंगा । 2.मैं हमेशा ईमानदार का पालन करूगा । 3.मैं नशा मुक्त जीवन जीऊगा । इन तीन नियमों के वाचन के बाद तेरापंथ समाज के सदस्यों ने उपरोक्त सभी स्कूलों में उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों से संकल्प लेने हेतु निवेदन किया । उपस्थित बच्चों व शिक्षकों ने सहमति देते हुए ,अपने हाथों को आगे कर , इन नियमों का पालन करने का सामूहिक रूप से संकल्प भी लिया । इसके पश्चात सभी स्कूलो मे सभा के सदस्यों ने सामूहिक रूप से अणुव्रत गीत …..नैतिकता की सुरसरिता मे जन जन मन पावन हो……संयममय जीवन हो….का संगान प्रारंभ किया.और उपस्थित बच्चों ने उनका अनुसरण करते हुए सामूहिक रूप से गीत को दोहराया । अणुव्रत गीत पश्चात तेरापंथ सभा के सदस्यों ने सभी स्कूलो के संचालक गण और प्राचार्य को आभार व्यक्त किया । वही स्कूल संचालकों ने भी तेरापंथ सभा के सदस्यों द्वारा चलाई गई इस मुहिम की सराहना करते हुए बच्चों से अणुव्रत के नियमों का पालन करने की अपील भी की ।

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