आदिवासी भील समाज द्वारा समाज सुधार के लिए 10 गांव के तड़वी सरपंचों ने की बैठक, कई सामाजिक निर्णय पर कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल से दो किलोमीटर दूर गांव बावड़ी छोटी में भगत समाज द्वारा आदिवासी समाज में महंगाई बढ़ती महंगाई के साथ अपने शादी विवाह एवं सामाजिक कार्यक्रमों में आर्थिक बोझ कम करने के लिए एवं कर्ज से मुक्ति के लिए शादी ब्याह में के नियमों में कई परिवर्तन किए है। इसके लिए भील समाज के द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3) 244 (1) पांचवी अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और उन्नति नियंत्रण के बारे में पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों के विस्तार के अधिनियम 40/ 1996 धारा 4 (ख )के तहत आदिवासी तड़वी पटेल विधायक सांसद पुलिस प्रशासन के अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक झाबुआ राकेश आर्य एवं पुलिस चौकी प्रभारी पल्लवी भाबर और ग्रामीण पिटोल क्षेत्र के आसपास के ग्राम बावड़ी शिव मंदिर पर रखी गई जिसमें पिटोल बड़ी बावड़ी बड़ी नागन खेड़ी का ककरादारा खुर्द काला खुट भिमफलिया छालकिया कोयाधरिया खाटापानी घाटिया कालिया छोटा भाजीडूंगरा आदि ग्रामों के जनप्रतिनिधि शामिल हुए। उसमें भील समाज में व्याप्त कुरीतियों के ऊपर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

इस मीटिंग में सभी तडवी एवं सरपंचों द्वारा गांव को शिक्षित एवं आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए अनैतिक खर्चो को रोकना बच्चे बच्चियों को शिक्षा देना, शिक्षित कर अच्छे संस्कारों के साथ दुनिया के उन्नत समाजों के साथ कदम से कदम मिलाकर आर्थिक उन्नति कर समाज का विकास करना ऐसे कई मुद्दों पर सभी वक्ताओं ने अपने अपने वक्तव्य रखें ।

इस मीटिंग में झाबुआ डीएसपी राकेश आर्य द्वारा समाज उत्थान के लिए वृहद रूप से अपने विचार रखें। जिसमें उन्होंने कहा कि समाज को अगर उन्नत करना है शिक्षित करना है तो हमारे पुराने रीति-रिवाजों के साथ वर्तमान परिवेश के रिवाजों के साथ भी चलना होगा। पुराने समय में दहेज दापा का रूप नहीं था केवल वधू मूल्य लिया जाता था और वह वधू मूल्य भी बहुत ही कम होता था। वहीं आज के परिवेश में वधू मूल्य इतना लिया जाता है कि पांच लाख के आस पास होता है। ग्रामीणों के पास इतना रुपया नही होता है और ना वह इतना दहेज दे पाते हैं फिर हमारी लड़की और बहू को गुजरात काम पर जाना होता है और कई बार बात इतनी बढ़ जाती है कि इस चक्कर में शादी तक टूट जाती है । उन्होंने कहा हमारे आदिवासी समाज को अगर उन्नत करना है विकास करना है तो इन कुरीतियों को छोड़कर पुराने पारंपरिक रीति रिवाज भी अपनाना पड़ेंगे। जिसमें विदेशी शराब का बंद करना डीजे बंद करना शादी बारात के लिए इतने वाहनों को ले जाना केवल दिखावा करने के लिए ऐसे कई सामाजिक मुद्दों पर सभी गांव के लोगों द्वारा डीएसपी राकेश आर्य को सुना और उस पर अमल करने के लिए संकल्प लिया।

चौकी प्रभारी पल्लवी भाबर द्वारा भी ग्रामीणों से अपील की अपनी नाबालिग कम उम्र की बच्चियों को शादी ना करें जिससे उसका शारीरिक विकास रुक जाता है। कम उम्र में मां बनने से बीमा को शारीरिक तकलीफ होती है ऐसे कई सामाजिक मुद्दों के साथ अपनी बात रखी। पुलिस चौकी प्रभारी ने कहा जहां तक हो सामाजिक मुद्दों को अपने गांव की मीटिंग में ही हल कर ले कानून तक बात पहुंची है तो न्यायालय में समय खर्च होता है वकीलों को पैसा देना पड़ता है। इन लोगों से बचने के लिए छोटी-छोटी बातों के लिए आप गांव में ही गांव चौपाल लगाकर इन मुद्दों को खत्म करें।

ये निर्णय लिए

कई सार्थक बातों के साथ ग्रामीणों ने मत हो कर आदिवासी समाज के लिए या नियम पारित किए की दहेज दारु डीजे पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने पर एकमत होकर सहमति दी गई। वधू मूल्य के लिए गानों की व्यवस्था वर पक्ष द्वारा की जाएगी जिसमें डेढ़ किलो चांदी तय की गई। शादी के खर्चे के लिए वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष को इक्कावन हजार दिए जाएंगे शादी में डीजे पूर्णता बंद रहेगा। अगर कोई नियम का उल्लंघन करता है तो उसे इक्कावन हजार का आर्थिक दंड दिया जाएगा। गांव की खाई की ग्यारह लिए जाएंगे अन्य खर्चों के दो हजार रखा गया है अगर कोई लड़का लड़की भाग कर शादी करते हैं एक लाख इक्कावन हजार रुपए दहेज लिया जाएगा। अगर दूसरे गांव की लड़की भाग कर आती है तब भी एक लाख इक्कावन हजार दिया जाएगा अगर कोई पुरुष दूसरी शादी करता है तो उसे दो लाख पचास का आर्थिक दंड दिया जाएगा। ऐसे कई मुद्दों पर सभी लोगों ने सहमति जताई एवं अंगूठे और साइन करके अपना पक्ष प्रबल रूप से रखा। साथ ही गांव बावड़ी के आयोजककर्ताओं से निवेदन किया है कि हर गांव में इस प्रकार की पहल की जाए और समाज उत्थान के लिए कार्य किया जाए।

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