एक बार फिर शांति समिति की बैठक बनी मजाक न बैठने की उचित व्यवस्था थी न पत्रकारो को सूचना

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आकाश उपाध्याय/सुनिल खेडे@ जोबट

एक कहावत आपने कई बार सुनी होगी अंधा बांटे रेवडी अपने अपने को देय । आज जोबट में हुई शांति समिति की बैठक में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला । आगामी त्यौहारो को व अन्य महत्वपुर्ण मुद्दो को लेकर स्थानीय नगर परिषद के हॉल में एक बैठक रखी गई थी । लगभग 11 बजे शुरू हुई इस बैठक की जानकारी जोबट के कई पत्रकारो नही दि गई । बैठक शुरू होने के कॉफी समय बाद जब इसकी जानकारी पत्रकारों को मिली तब तक बैठक अंतिम पडाव पर थी आलम यह था की वहा बेठने तक की जगह नही थी व कई पत्रकारो बाहर खडे नजर आये । बैठक में पत्रकारो को नही बुलाने को लेकर एस0डी0एम0 देवकीनदंन सिंह से सवाल किया गया तो कहा कि मिडिया शांति समिति का ही अंग है एक दुसरे के पुरक है बिना आपके व समिति के काई काम नही हो सकता, आगे से हम ध्यान रख बराबर सुचना देगें । वही जब शांति समिति की कार्यकारणी के गठन की बात कही तो एस0डी0ओ0पी0 नीरज नामदेव ने कहा की समिति का गठन हो चुका है सुची तैयार कर ली गई है । अब यहा प्रश्न यह उठता है की सुची किस बैठक मे और किस प्रकार किसने तैयार की जबकी कई जनप्रतिनिधियो, समाजसेवीयों व पत्रकारो को पता भी नही है वैसे जानकारी यह मिली है की एक वाट्सअप पर गु्रप बनाकर उसमें खास सदस्यों को जोड लिया गया है तो कई पत्रकारों को नही । जबकी होने यह चाहीये की समिति के गठन के लिये विशेष बैठक रख नये-पुराने सभी सदस्यों व नगर में महत्पपूर्ण भुमिका निभाने वाले जनप्रतिनिधीयों, समाजसेवीयों व पत्रकारों को बुलाकर चर्चा करनी चाहिये थी । वही पुर्व सदस्यों की इस समिति से दुरी बनाने का कारण जानना था । कईयो का यह कहना है की शांति समिति की बैठक केवल ओपचारिकता मात्र होती है इसलिये अब वे जाना उचित नही समझते है ।

दरअसल आपको बता दे की यहा कुछ पत्रकार प्रशासन के आगे पीछे घुमते रहते है और इस प्रकार की बैठकों का जिम्मा खुद लेकर अपने करीब ऐसे पत्रकारो को बुलाते है जो प्रशासन की हर बात में हॉ मे हॉ मिलाये । आज की इस बैठक में भी यही देखने को मिला । प्रशासन भी यह नही चाहते के किसी प्रकार से उनकी कमीयों को लेकर नकारात्मक खबरे प्रकाशित हो इसलिये इसे चाटुकार पत्रकारो को अपने अगल बगल में रखते है जिन्होने आज तक प्रशासन की कमीया के खिलाफ नकारात्मक खबरे प्रकाशित नही की । हमेशा ही आम जनता व क्षेत्र के लिये प्रशासन को आयना दिखाने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश जैन, कमल पारिख, मनीष जोशी के साथ नरेन्द्र जैन, आकाश उपाध्याय, राजेश डुडवे, सुनिल खेडे, जितेन्द्र वर्मा, चयन खत्री व अन्य पत्रकारो को कई बार इस प्रकार की बैठको में सुचना नही दी जाती है ताकि मुख्य मुद्दो पर चर्चा न होकर औपचारिक मात्र पुरी की जा सके ।

आपको बता दे की जिले के पुलिस कप्तान मनोज सिंह ने एक निजी कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में कहा था की जब कोई पत्रकार साथी किसी प्रकार की मेरे या हमारे विभाग के खिलाफ नकारात्मक खबर प्रकाशित करते है तो मै उस खबर से नाराज होने के बजाय खबर में प्रकाशित हमारी कमियां को दुर करने में जुट जाता हुॅ । जो विचार व सोच पुलिस अधिकक्ष मनोज सिंह के है वही विचार अगर हर अधिकारी रख ले तो निश्चित ही क्षेत्र मे होने वाली हर अनियमितता में सुधार आ जायेगा लेकिन अक्सर देखने में आता है की नकारात्मक खबर पर प्रशासनिक अधिकारी नाराज होकर निष्पक्ष पत्रकारिता करने वालो से दुरी बना लेते है ।

शांति समिति की बैठकों में ज्वलित मुद्दों पर चर्चा करने वालो की आवश्यकता नही है, हमारे जैसों वास्तविक मुद्दों पर बात करने वालो को दूर रखा जाता है । इसीलिए हमने भी दूरी बना ली क्योकि ये केवल औपचारिकता करते है ।
– गुड्डू ठाकुर, समाजसेवी

मेरे द्वारा पिछली ओर आज की मीटिंग में बस स्टैंड व स्ट्रीट लाइट का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था । पिछली मीटिंग में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इसे नोट कर अमल में लाने की बात कही थी । अब तो लगता है ये बैठक औपचारिता मात्र है ।

– रफीक लोहार, समाजसेवी

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