सूचना के अधिकार का मजाक उड़ा रहे बीआरसी

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पुस्तके, साइकिल, दस्तावेज खा रहे धूल
पुस्तके, साइकिल, दस्तावेज खा रहे धूल

झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट- सरकार चाहे जितनी भी योजनाएं इस जिले में लागू कर दे मगर जिले के अधिकारी एवं स्थानीय कर्मचारी सारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ कर रह गई। चाहे वह किसी भी विभाग के हो जनपद, मण्डी, नगर परिषद, स्वास्थ्य विभाग, शैक्षणिक संस्था या अन्य विभाग हो सभी कर्मचारी राजनीति की सेटिंग के चलते वर्षो से एक ही पद संथा में पदस्थ हो कर अपने कार्य के अनुरूप डटे हुए है। इसी तर्ज पर थांदला शिक्षा विभाग के अंतर्गत खंडस्त्रोत समन्वयक बीआरसी जैसे पदों पर बैठकर शासन की योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं। बीआरसी तो सूचना के अधिकार का माखोल उड़ा रहे हैं उन्हें किसी प्रकार की नियमो की का पता नही सारे नियम ताक मे रखते है। इस प्रतिनिधि द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाही गई थी मगर आधी अधूरी जानकारी बिना प्रमाणित एवं बिना सत्यापन के जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है। एक जिम्मेदार पद पर बैठे बीआरसी को सूचना के अधिकारी का भी ज्ञान नही होना, समझ से परे है।
शोचालयों में भ्रष्टाचार
थान्दला विकास विकास खण्ड में स्कूल शोचालयों में भारी भ्रष्टाचारी के चलते कई शालाओं में शोचालय आधे अधूरे पड़े है। किसी की सीसी जारी हुई तो किसी का पूरा कार्य होने से पहले ही सारी राशि आहरण हो गई। शोचालय आज भी आधे अधूरे है। कई शोचालयों की सीसी जारी होने के बाद भी कमीशन के चक्कर में नोटिस जारी करवा दिए।
क्यो है मेहरबान बीआरसी?
थान्दला बीआरसी कार्यालय में कर्मचारी ऐसे भी है जिन्होंने दिसम्बर 2014 मे त्यागपत्र देने के बाद भी बीआरसी द्वारा उपस्थिति पंजीयन में नाम दर्ज होकर चल रहे है। सिर्फ अलाटमेंट के लिए नाम नही काटे जा रहे और न ही कार्रवाई कर रहे। विधान सभा चुनाव के अंतर्गत एमआरसी के पद पर ड्यूटी लगाई गई थी। कर्मचारी विधान सभा चुनाव में अनुपस्थित रहते हुए आज दिनांक तक कार्यवाही नही करना के पीछे के कारणो को समझा जा सकता है।
पुस्तके, साइकिल, दस्तावेज खा रहे धूल
प्रतिवर्ष लाखों रुपयों की किताबें एवं साइकिले संकुलों में पहंुचाई जाना चाहिए मगर अपने स्वार्थ के चलते आज भी कार्यालय धूल खा रही है। ऑफिस मे जिन कार्यो को करने के लिए कार्य चाहे वह फोटोकॉपी, प्रिंट, स्टेशनरी या मेपिंग कार्य एवं फर्जी बिलों का भुगतान भी कर दिया जाता है। जिसे देखने वाला कोई नही बीआरसी द्वारा सिर्फ वरिष्ठ अधिकारी को जानकारी प्रेषित कर इतिश्री करते है। अगर कलेक्टर इस ओर ध्यान दे तो सारा मामला सामने आ जाएगा।

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