मयंक विश्वकर्मा@आम्बुआ
त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव प्रक्रिया रुक जाने के बाद पंचायतों की हालत पतली हो रही है चुनाव घोषणा के बाद 3 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत पंचायत सचिवों के स्थानांतरण तो कर दिए गए मगर सचिव अपने कार्यस्थल पर पहुंचे या नहीं कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आम्बुआ पंचायत की भी यही हालत बताई जा रही है नागरिक परेशान है।
जैसा की विदित है कि पंचायतों का कार्यकाल विगत वर्ष हो चुका है तथा कोरोना तथा अन्य कारणों से पंचायतों के चुनाव चलते आ रहे हैं विगत महीने चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो गई मगर तभी कुछ कारणों से चुनाव स्थगित कर दिए गए। पंचायतें भंग होने से सरपंच का दायित्व नोडल अधिकारी एवं सचिवों को दिया गया। इधर चुनाव आयोग ने 3 साल से अधिक समय से पदस्थ सचिवों के स्थानांतरण कर दिए जिसमें आम्बुआ पंचायत का सचिव भी शामिल है जिनका स्थानांतरण कोटबू कर दिया गया तथा आम्बुआ में कहीं अन्य पंचायत के सचिव को पदस्थ किया गया लगभग 1 माह का समय व्यतीत हो रहा है आम्बुआ में सचिव की व्यवस्था नहीं होने से यहां पर अनेक कार्य प्रभावित हो रहे हैं बच्चों के जाति प्रमाण पत्र, नवीन भवन निर्माण की स्वीकृति, टैक्स तथा भवन, दुकानों का किराया जमा करना, कस्बे की विद्युत व्यवस्था ठप पड़ी अनेक खंभों पर लाइट बंद है आदि अनेक कार्य रुके पड़े हैं जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है नागरिकों में आक्रोश है जिला जनपद के सी.ओ. से संपर्क करना चाहा मगर उन्होंने किन्हीं कारणों से फोन नहीं उठाया।