केन्द्र सरकार द्वारा पांच माह में 6 बार डीजल के दाम 13 रूपए प्रति लीटर तक कम कर दिए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी इसका लाभ आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। यात्रियों को आज भी बस का किराया पुराने दर पर ही देना पड़ रहा है। अब सरकार की पहली बार नींद खुलती दिख रही है। सरकार ने 10 फरवरी को एक बैठक बुलाई है जिसमें यात्री किराए की समीक्षा की जाएगी।
यात्री बसों के साथ किराया का वाहन भी अब तक महंगा है। दाम कम होने के साथ ही किराया में भी कमी आनी चाहिए, लेकिन आज भी यात्रियों को पुराने दर पर सफर तय करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार कमी होने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है।
एक जुलाई 2014 को आखिरी बार डीजल महंगा होकर करीब 66 रूपए प्रति लीटर हुआ था । महंगा होने पर रेल किराया 14.12 प्रतिशत तथा भाड़े में भी बढ़ोतरी की गई थी। 3 फरवरी को 2015 को डीजल छठी बार सस्ता होकर करीब 53 रूपए प्रति लीटर हो गया है। अगर प्रदेश का वैट कम कर दिया जाए तो डीजल 48 .26 रूपए प्रति लीटर मिलेगा। फिलहाल डीजल में 11 रूपए प्रति लीटर कम हुआ है।
बस एवं अन्य छोटे वाहनों में ईधन के तौर पर प्रयोग होने वाले डीजल के दाम छह माह से निरंतर घट रहे हैं, बावजूद इसके प्रदेश में रोजाना बस का सफर करने वाले यात्रियों को इस कटौती का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटती कीमतों के चलते देश की कंपनियों ने भी अपने दाम घटा दिए।
हालांकि, अब मध्य प्रदेश सरकार की नींद खुलती हुई दिख रही है। डीजल के दामों में लगातार कमी के मद्देनजर यात्री किराए की नए सिरे से समीक्षा के लिए सरकार कवायद करती दिख रही है। परिवहन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने यात्री किराया नियंत्रण समिति की बैठक बुलाई है। यह बैठक 10 फरवरी को आयोजित की गई है। इस बैठक के बाद प्रदेश वासियों को खुशख़बर मिलने की उम्मीद है।