जिले में वर्षा ऋतु में विराट वैदिक सत्संग, 86-87 वाँ एव 88वाँ वैदिक महायज्ञ

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रितेश गुप्ता@ थांदला

घर घर यज्ञ हर घर यज्ञ के तारतम्यता में 108 परिवारों में वैदिक सत्संग की संक्लपना के साथ 4 सितंबर को महर्षि दयानंद सेवाश्रम थांदला के तत्वावधान व ग्रामीणों के सहयोग से संचालक आचार्य दया सागर  की मार्ग दर्शन में तथा आचार्य विश्वामित्र यज्ञाचार्य के ब्रह्मतत्व में महर्षि दयानंद सेवाश्रम के कोषाध्यक्ष गुलाब सिंह निनामा तथा सदस्य  कैलाश सेहलोत, भगत सिग डामोर के संयोजन में काकनवानी व चौखवाडा में 3 परिवारों में भजन सत्संग एवं महायज्ञ का आयोजन गोवर्धन, भगत सिग डामोर तथा जेनु वसुनिया के निवास स्थान में किया गया। परिवार के सभी सदस्यों ने महायज्ञ में आहुति प्रदान कर पुण्य के भागीदार बने तत्पश्चात सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें परिवार के सभी सदस्य व भक्तगण उपस्थित होकर सत्संग का लाभ लिए। आचार्य श्री ने सत्य सनातन वैदिक धर्म सबसे प्राचीन और सृष्टि के आदि से चला आ रहा जिसे अब तक 1अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हजार 1सौ 23 वर्ष लग-भग 2 अरब पुराना हो चुका है। इसी वैदिक धर्म को राम,कृष्ण, सब राजा सब ऋषियों ने माना है। यह देश आर्यों का इसीलिए इस देश का सबसे प्राचीन नाम आर्यव्रत है। हमारा धर्म ग्रंथ संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ चार वेद है। वेदों के अनुसार अपने जीवन यापन करनेवाले मनुष्य सुख शांति व समृद्धि को प्राप्त करते है।अतः महर्षि दयानंद सरस्वती ने जनमानस के कल्याण के लिए कहा कि वेदो खिलो धर्म मूलम्। वेद ही समस्त धर्मों का मूल है। उन्होने कहा था कि वेदों की ओर लौटो। कार्यक्रम में कछुआ डामोर ,राधू वसुनिया, ज्वान सिग वसुनिया गोपाल वसुनिया रमेश वसुनिया लिला वसुनिया आदि सैकड़ों भक्त गण उपस्थित रहे।

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