कोरोना गाइडलाइन का पालन हुए झाबुआ जैन समाज के वर्षीतप के 42 तपस्वीयों ने आज अक्षय तृतीया के पवित्र दिवस अपने अपने परिजनो के हाथ से गन्ने के रस से पारणा किया। रिश्तेदारो ने और समाजजनो ने सोश्यल मिडिया के माध्यम से समस्त तपस्वियों को इस कठिन तपस्या लिए शुभकामनाएं एव बधाई प्रेषित की। स्थानीय बावन जिनालय मे कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम कोविड के चलते नहीं हुआ। स्थानीय समाजजनो से प्रतीक के तौर पर सर्वप्रथम बोली लेकर श्री हस्तीमल संघवी परिवार के सदस्यों ने प्रभु आदिनाथ का गन्ने के रस से अभिषेक किया | इसके पश्चात प्रभु केशरियानाथजी ( रंगपुरा वाले) का पक्षाल भी इन्हीं के द्वारा गया। गुरुदेव राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा की मूर्ति का अभिषेक श्रीमती लीलाबाई भण्डारी परिवार के २ सदस्यों ने किया।
जैन श्रीसंघ ने किया बहुमान-
उल्लेखनीय है कि दीक्षा पर्यन्त 12 मास तक प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ द्वारा आहार नही लिया गया था। अक्षयतृतीया पर भगवान ने श्रेयांस कुमार के हाथों से गन्ने का रस ग्रहण कर पारणा किया था।
सम्पूर्ण वर्ष तक मात्र गर्म जल के आधार पर एक दिवस उपवास एवं एक दिवस बियासणा ( दो समय भोजन ग्रहण) धार्मिक क्रियाए प्रतिदिन की जाती है।कोरानाकाल के कठिन समय में श्री हस्तीमल संघवी, जयेश सँघवी, सपना संघवी परिवार द्वारा वर्षीतप के तपस्वीयो के लगातार एक वर्ष तक पारणे कराने की व्यवस्था की। झाबुआ श्री संघ की और से उनके घर जाकर बहुमान किया। इस अवसर पर संघवी परिवार को अभिनंदन पत्र श्री संघ के अध्यक्ष संजय मेहता, मुकेश जैन, मुकेश लोढा , राजेश मेहता, रिंकु रुनवाल, रीतेश कोठारी, उल्लास जैन उपस्थित थे।