अंचल में धुमाधम से मनाई जा रही तेजा दशमी, क्यो बांधी जाती है तांती ओर आज ही के दिन तोड़ी क्यो जाती है पौरणिक कथा में तेजाजी का क्या है वर्णन पढ़िए यह खबर

0

रायपुरिया लवेश स्वर्णकार 

भादवा माह की दशमी पर आज तेजा दशमी का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है नगर में तेजा दशमी पर्व को मनाने के लिए ग्रामीणो में उत्साह दिखाई दे रहा हैं । दशमी के लिए पहले से ही बस स्टैंड स्थित तेजियाजी मंदिर पर लाइट डेकोरेशन व आकर्षक साज सज्जा की गई थी आज सुबह गांव के मुख्य मार्गो से तेजाजी को चढ़ाने वाले निशान लेकर लोगो ने एक शोभा यात्रा निकाली गई माना जाता है कि शूरवीर तेजाजी महाराज ने सत्यता के वचन से अपने प्राण तक त्याग दिए थे उन्होंने जब लाछा गुर्जर के मवेशी पर डाकू डाका डाल कर ले गए थे तो लाछा गुर्जर सत्य वीर तेजाजी महाराज को यह बात बताइ तेजाजी ने लाछा गुर्जर को वचन दिया था कि मैं तुम्हारे मवेशी वापस ले कर आऊंगा तब वह रास्ते में जा रहे थे तो वहां पर एक सर्प अपनी जीवन लीला आग के हवाले कर रहा था यह देख कर तेजाजी ने अपने भाले से उस सर्प को बाहर निकाला तब सर्प क्रोधित हो गया सर्प कहने लगा कि मुझे क्यों बचाया अब मैं तुम्हें डस लूंगा तब तेजाजी ने कहा कि मैं लाछा गुर्जर को वचन दे कर आया हूं कि डाकूओ से तुम्हारे मवेशी वापस लाकर दूंगा मुझे अभी तो जाने दो उसके बाद मैं वापस तुम्हारे पास आ जाऊंगा डाकुओं से मवेशी छुड़ाकर लाछा गुर्जर को सुपुर्द कर दिया उसके बाद नागराज के पास तेजाजी पहुंचे तब नागराज में कहा कि तुम्हारा शरीर तो पूरा लहूलुहान हो रहा है मैं कहां पर तुमको डसू तो तेजाजी ने नागराज से कहा मेरी जीभ पर आप डस लो यह बात सुनकर नागराज में तेजाजी को वचन दिया कि आज से जो भी मनुष्य तेरे नाम से धागा बांधेगा उसे कभी भी मेरा जहर नहीं चढ़ेगा इस बात का पौराणिक कथा में इसका वर्णन है इसीलिए भादवा महीने की बड़ी दशमी के दिन तेजा दशमी का पर्व मनाया जाता है उस दिन जहरीला जानवर काटने से तेजाजी के नाम से जो बंधी हुई ताती है वो तोड़ी जाती है उस दिन मन्नतधारी व्यक्ति निशान चढ़ाते हैं रायपुरिया के आस-पास के गांव के ग्रामीणजन तेजाजी मंदिर पर पहुंचते हैं वहां पर नारियल प्रसादी दूध चढ़ाते हैं दोपहर में मारुति हिन्द व्यामशाला, बजरंग दल के आयोजक अखाड़े का आयोजन भी करते हैं व अखाड़े वाले अपना करतब दिखाते हैं किसान दशमी के दिन अपना कामकाज बंद रखते हैं 1 दिन पहले मवेशियों के लिए घास अपने खेतों से काटकर लाते हैं क्योंकि दशमी के दिन धार दार हथियार नहीं चलते हैं कहीं जगह पर तेजाजी मंदिर पर तेजाजी का नाटक भी करते हैं जागरण भी करते हैं तेजाजी का जन्म राजस्थान के खरनाल में हुआ था उनकी कई चमत्कारी चीजें के किस्से सुनने को मिलते हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.