साध्वीश्री निखिलशीलाजी व साध्वी वृंद के सानिध्य में 2 जुलाई वर्षावास प्रारंभ दिवस पर जप तप से मनाया जाएगा चौमासी पर्व 

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थांदला। जिनशासन गौरव आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तिनी साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी एवं दीप्तिजी ठाणा 4 स्थानीय पौषध भवन पर वर्षावास हेतु विराजित हैं। रविवार 2 जुलाई चौमासी पक्खी पर्व से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है, चौमासी पक्खी पर कई श्रावक-श्राविकाएँ उपवास, आयंबिल, नीवी, एकासन, बियासन तप के अलावा प्रतिपूर्ण पौषध आदि विविध आराधना करेंगे। इस वर्ष वर्षावास पांच माह का होने से आराधना का क्रम भी पांच महीने तक चलेगा। 

आराधकों को वर्षावास का विशेष इंतजार रहता हैं

वर्षावास को लेकर श्रीसंघ का प्रत्येक सदस्य अति उत्साहित हैं। वैसे तो वर्षावास आने का हर किसी को इंतजार रहता ही हैं। वहीं आराधना में रमने वाली आत्माओं को तो इसका बेसब्री से विशेष इंतजार रहता हैं। कई आराधक तप आदि करने का पूर्व से ही मन बना लेते हैं। वहीं ऐसे गुप्त आराधक भी हैं जो चातुर्मास प्रारंभ होने के पूर्व से ही अपनी तप आराधना प्रारंभ कर देते हैं।  वर्षावास में एकासन, बियासन, आयंबिल, नीवी, उपवास, बेला, तेला, पचौला, अठ्ठाई, नौ, ग्यारह, सोलह, इक्कीस उपवास, मासक्षमण (30 उपवास) के अलावा सिद्धितप, धर्मचक्र, मेरुतप, परदेशी राजा का तप, बेले-बेले, तेले-तेले, चौले-चौले, पचौले पचौले तप, एकांतर एकासन, एकांतर उपवास आदि विभिन्न तपस्याएं होती हैं। यहाँ कई आराधकों की वर्षीतप की निरंतर आराधना भी चल रही हैं। संघ के पूर्व अध्यक्ष भरत भंसाली जिनकी सतत 20 वर्षो से एकातर तप की आराधना अविरत निर्बाध रूप से जारी हैं। साथ ही कई आराधक निरंतर रात्रि संवर की आराधना भी करते हैं। 

पांच माह विभिन्न तप की लड़ियां चलेगी

साध्वी मंडल की प्रेरणा से यहाँ वर्षावास प्रारंभ दिवस से ही विभिन्न तप की लड़ियां चलेगी। इसमें श्रावक-श्राविकाएँ और बच्चे भी उत्साहपूर्वक भाग लेकर आराधना करने का लाभ लेंगे। ज्ञान-आराधना के तहत जिन्हें सामायिक, प्रतिक्रमण, कल्याण मंदिर, थोकड़े आदि कंठस्थ नहीं हैं, वे कंठस्थ करेंगे और जिन्हें ये कंठस्थ हैं, वे उन्हें नियमित दोहराते हुए संयमी आत्माओं की प्रेरणा एवं सानिध्य में अपनी ज्ञान-आराधना को आगे बढ़ाएंगे।वर्षावास के दौरान आने वाली महापुरुषों की पुण्यतिथि, जन्म जयंती, दीक्षा जयंती आदि विभिन्न प्रसंग जप-तप-त्याग-तपस्या से मनाये जाते है। वर्षावास के दौरान ज्ञानवर्धक विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताएं का भी आयोजन  होता है। 

चौमासी प्रतिक्रमण का आयोजन होगा 

चौमासी पर्व वर्ष में तीन बार आता है। एक चौमासी पर्व आषाढ़ माह में वर्षावास के प्रारंभ दिवस पर, दूसरा कार्तिक माह में वर्षावास पूर्ण दिवस पर एवं तीसरा फाल्गुन माह में फाल्गुनी चौमासी पर्व आता हैं। वर्षावास प्रारंभ दिवस पर चौमासी पर्व हैं। इस दिन शाम 7 : 17 बजे से पौषध भवन पर साध्वी वृंद के सानिध्य में श्राविका वर्ग का एवं दौलत भवन पर श्रावक वर्ग का चौमासी प्रतिक्रमण होगा। श्रीसंघ ने समस्त श्रावक, श्राविकाओं एवं बच्चों से चौमासी पर्व पर अधिक से अधिक धर्म आराधना करने का निवेदन किया है। 

तपाराधना का दौर प्रारंभ 

आयंबिल तप का लक्ष्य लेकर नीवीं  से 45 लड़ी पूर्ण कर 46वी लड़ी संगीता दिलीप पीचा ने व पुखराज सुरेश व्होरा ने 39 लड़ी पूर्ण कर 40वी लड़ी चातुर्मास पूर्व से ही प्रारंभ कर दी है। पूरे चातुर्मास काल तक चलने वाली तेले की लड़ी में पहला तेला गुप्त तपस्वी द्वारा किया जा रहा है। आयंबिल की लड़ी विगत तीन वर्षो से निरंतर गतिमान है।

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