शिव ही सृष्टि की उत्पत्ति पालन एवं संहार के कारण है : आचार्य जैमिन शुक्ल

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थांदला। सांवरिया सेठ मंदिर पर चल रही शिव कथा इस अधिक श्रावण मास के पावन पर्व पर चतुर्थ दिवस की कथा में आचार्य जमीन शुक्ला ने शिव एवं सती विवाह के प्रसंग की कथा सुनाई। उपदेश देते हुए आचार्य जी ने विद्यार्थी को एवं श्रोताओं को उपदेश देते हुए विद्यार्थी के पांच लक्षणों की चर्चा की। 

कथा के चलते हुए आचार्य जी ने जब खराब समय चल रहा हो तब मनुष्य को किस बातों का ध्यान रखना चाहिए क्या करना चाहिए और क्या ना करना चाहिए। इस विषय पर बताया तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस में लिखी गई चौपाई तुलसी असमय के सखा धीरज धर्म बिबेक साहित साहस सत्यव्रत् राम भरोसो एक इस चौपाई द्वारा खराब समय में मनुष्य को धीरज रखनी चाहिए धर्म का कर्म का कभी त्याग नहीं करना चाहिए अपना विवेक कभी नहीं छोड़ना चाहिए हमारे शास्त्रों में लिखे गए नियम एवं वचनों का पालन करना चाहिए साहस करके नहीं शुरुआत करनी चाहिए। सत्यव्रत का पालन करना चाहिए और भगवान श्री हरि पर भरोसा रखना चाहिए तत्पश्चात आचार्य जी ने शिव सती प्रसंग अंतर्गत ब्रह्मा द्वारा शिव के विवाह की चाहना तथा देवों द्वारा शिव की स्तुति दक्ष की पुत्री सती के साथ शिव का विवाह शिव और सती का कैलाश पर निवास करना कुंभज ऋषि के आश्रम पर कथा श्रवण के लिए जाना भगवान श्री राम के दर्शन एवं सती द्वारा उनकी परीक्षा करना सटिका देहात त्याग वीरभद्र की उत्पत्ति और वीरभद्र द्वारा दक्ष के यज्ञ का विध्वंस देवताओं द्वारा स्तुति करने पक्ष शिव द्वारा दक्ष के यज्ञ की पूर्ति आदि अनेक कथाओं का संकीर्तन के साथ भजन के साथ पान कराया गया ओम नमः शिवाय।

आज होगा शिव विवाह

शनिवार के दिन सांवरिया सेठ मंदिर थांदला श्री शिव महापुराण के चलते ढोल नगाड़ों के साथ शिव विवाह प्रसंग अंतर्गत भूत प्रेत आदि विभिन्न स्वरूपों के साथ भगवान शिव की बारात निकाली जाएगी एवं शिव विवाह कराया जाएगा

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