इंदौर में डॉ. सीमा शाहजी के प्रथम काव्य संग्रह “ताकि मैं लिख सकूं” का विमोचन हुआ

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थांदला। इंदौर लेखिका संघ के द्वारा श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति इंदौर में डॉ सीमा शाहजी के प्रथम काव्य संग्रह “ताकि मैं लिख सकूं” का विमोचन हुआ ।इस काव्य संग्रह में ऐसी 61 कविताएं है, जो किसी गहरे अंतर्द्वंद से बाहर आने की कोशिश कर रही है । इस संघर्ष का मिजाज थोड़ा अलग है।

यह ह्रदय से फूटी सच्ची कविताएं है ,इसीलिए इनका जन्म स्थल लेखिका का ह्रदय ही हो सकता है।इस अवसर पर लेखिका संघ की सदस्य डॉ अलका भार्गव ने डॉ जया पाठक द्वारा लिखी गई समीक्षा का वाचन बहुत ही सुमधुर आवाज में किया। लेखिका डॉ सीमा शाहजी ने बताया कि इस काव्य संग्रह की पांडुलिपि को मप्र साहित्य अकादमी ने चयनित एवम अनुमोदित किया है। इसके अंतर्गत प्रकाशन का समस्त खर्च अकादमी ने ही वहन किया है। गौरतलब है कि डॉ शाहजी पिछले बीस वर्षो से हिंदी लेखन एवम प्राध्यापन कार्य से जुड़ी है ।उन्हें लेखन के क्षेत्र में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुवे है।संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली की और से आपको झाबुआ की आदिवासी महिलाओं पर शोध कार्य हेतु सीनियर फैलोशिप प्रदान की गई है ।इसके अलावा उन्होंने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के जीवन के अनछुए पहलुओं पर शोध कार्य किया है ।जिसका प्रसारण भोपाल दूरदर्शन से भी हुआ है।

डॉ शाहजी के प्रथम काव्य संकलन के विमोचन के अवसर पर झाबुआ के साहित्यिक समूह शब्द धरा वनांचल एवम आजाद साहित्य परिषद ,जैन कवि संगम के सभी सदस्यों, नगर विकास समिति थांदला, डॉ के के त्रिवेदी , डॉ जया पाठक , डॉ गीता दुबे , डॉ स्नेहलता श्रीवास्तव डॉ अंजना मुवेल , जय बैरागी ,भारती सोनी , नगीन शाहजी अमित शाहजी, जितेंद्र घोड़ावत ,प्रदीप गादिया आदि गणमान्य नागरिकों एवं मीडिया बंधुओ ने हर्ष व्यक्त कर बधाई प्रेषित की है।

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