35 वर्षों से अधिकमास में एक माह का मौन आराधना में लीन रहते हैं रमाकांत भट्ट

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रितेश गुप्ता, थांदला
मौन ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है इसे साधने हेतु उम्र कभी बाधक नही बनती है नगर के ख्यात सेव निवृत्त शिक्षक रमाकांत भट्ट विगत 35 वर्षो से अधिकमास मे एक माह तक मौन रहकर ईश्वर की आराधना मे लगे रहते है भट्ट ने अपना मौन व्रत गुरूवार को प्रात: अपने इष्टदेव भगवान गणेश के प्राचीन मन्दिर मे उनके दर्शन कर व्रत खोला। उन्होंने चर्चा में बताया कि किसी पिडीत की सेवा करना भी इबादत से कम नही है अपने आदर्श गुरू स्वामी अवद्येशानंद के अन्य भक्तों में शुमार शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त पश्तात भी इस आदिवासी अंचल मे शिक्षा का अलख जगा रहे है हाल ही परिवार की एक मात्र पुत्रवधु को खोने के बाद भी कई बालक बालिकाओ की फीस अपनी जेब से वहन कर उन्हें शिक्षित कर रहे है। नगर के समीप स्थित ग्राम शिवगढ महुडा के एक मूक बधिर आदिवासी बच्चे को हाईस्कूल में एडमिशन दिलाकर उसे पढाई से लगाकर ड्रेस तक खर्च वहन कर ट्यूशन स्वयं पढाकर उसे कॉलेज मे एडमिशन दिलाया। रमाकांत भट्ट के मौन व्रत के पूर्ण होने पर इंद्रपुरी कॉलोनी मे स्थित शिव मन्दिर मे 108 दीपक की आरती का आयोजन भी कालोनीवासियों ने किया।

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