24 वें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर स्वामीजी का निर्वाण कल्याणक दिवस 24 अक्टूबर को विभिन्न अराधनाएं कर मनाएंगे

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थांदला। आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती जैन संतश्री चंद्रेशमुनिजी, सुयशमुनिजी ठाणा 2 पौषध भवन पर एवं साध्वीश्री निखिलशीलाजी,  दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा 4 दौलत भवन पर चातुर्मास हेतु विराजित हैं। चातुर्मास का उत्तरार्ध काल चल रहा है। संयमी आत्माओं के सानिध्य में प्रातः राई प्रतिक्रमण, प्रार्थना, दोपहर में ज्ञान चर्चा, शाम को देवसीय प्रतिक्रमण, कल्याण मंदिर, चौवीसी आदि विविध आराधनाएँ हो रही है। जिसमें श्रावक श्राविकाएँ उत्साहपूर्वक आराधना कर रहे हैं। 

महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्यन सूत्र का वाचन हो रहा है

भगवान महावीर स्वामीजी की अंतिम देशना ‘उत्तराध्यन सूत्र’ का वाचन 18 अक्टूबर से पौषध भवन पर प्रारंभ हो गया है। जिसका वाचन मुनिश्रीजी कर रहे है। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उत्तराध्यन सूत्र श्रवण कर रहे है। उक्त सूत्र के वाचन का समापन 25 अक्टूबर को होगा। भगवान महावीर की पुच्छिसुणं स्तुति भी प्रतिदिन हो रही है। 

24 आंकड़े का कैसा बना संयोग

श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, सचिव प्रदीप गादिया एवं नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा ने बताया कि 24 के आंकड़े का संयोग यह है कि मुनि वृंद एवं साध्वी मंडल के सानिध्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा 24 वें तीर्थंकर आराध्य प्रभु श्रमण भगवान महावीर स्वामीजी का निर्वाण कल्याणक दिवस 24 अक्टूबर को जप, तप, त्याग, तपस्या व विविध धार्मिक आराधनाओं के साथ उत्साहपूर्वक मनाया जाएगा। 

22 अक्टूबर से तेला तप होगा प्रारंभ

इस प्रसंग पर सतत तीन दिन तक आराधनाएं आयोजित होगी। आराधना का प्रारंभ 22 अक्टूबर शनिवार से होगा। इस दिन से आराधक तेला तप की आराधना प्रारंभ करेंगे। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएँ तेला तप करने का लाभ लेंगे। तीन दिवसीय आराधना के तहत निम्न आयोजन आयोजित होंगे। जिसमें 3 दिन उपवास से तेला/एकासन तेला, 27 वंदना विधि पूर्वक, व्याख्यान श्रवण, तीन तीन सामायिक (खुली-खुली), देवसिय प्रतिक्रमण, देश पौषध आदि विभिन्न आयोजन होंगे। आराधना का समापन 24 अक्टूबर सोमवार भगवान महावीर स्वामीजी के निर्वाण कल्याणक दिवस पर होगा। उल्लेखनीय है कि भगवान महावीर स्वामीजी के निर्वाण कल्याणक दिवस पर बड़ी संख्या में आराधक तेला तप सहित विविध आराधना करते है। 

पावन सानिध्य में पक्खी पर्व मनाया जाएगा

24 अक्टूबर को ही दीपावली एवं पक्खी पर्व भी है। इस संयमी आत्माओं के सानिध्य में इस दिन श्रावक, श्राविकाओं को धर्माराधना करने का दोहरा लाभ प्राप्त होगा। इस अवसर पर विभिन्न तपाराधनाओं के अंतर्गत बियासन, एकासन, नीवी, आयंबिल, उपवास आदि तपाराधनाएं होगी। इसके तहत जो श्रावक श्राविकाएं व बच्चें तेला आदि की तप आराधना नहीं कर पाते हैं। वे पक्खी पर्व पर कोई न कोई तप अवश्य करने का लाभ लेंगे।

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