सभी कुछ भुलाकर आत्मा के निकट रहने का पर्व है पर्युषण महापर्व-साध्वी निखिलशीलाजी

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थांदला। आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी श्री निखिलशीलाजी आदि ठाणा-4 के सानिध्य में आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व की आराधना प्रारंभ हुई। बड़ी संख्या में आराधकों ने पोषध, उपवास आदि विविध आराधना की। पर्व के दौरान यहां विविध आराधनाएं हो रही है जिसमें श्रावक, श्राविकाएं और बच्चें उत्साहपूर्वक अपनी-अपनी अनुकूलता अनुसार आराधना कर रहे हैं।

पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन साध्वी निखिलशीलाजी ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने अंतगढ़ सूत्र में जो भाव फरमाए है वह हम प्रतिवर्ष सुनते है और आज भी सुन रहे है। इसमे वर्णित 90 भव्य आत्माओं के बारे में प्रतिदिन श्रवण करेंगे। इन भव्य आत्माओं ने अपनी अकूट धन-संपत्ति, वैभव, राजपाट सभी को छोडक़र, संसार को असार जानकर संयम का मार्ग अपनाया और मोक्ष के अनंत सुखों को प्राप्त करते हुए अपने भव भ्रमण को समाप्त किया। संसार की प्रत्येक वस्तु छोडऩे जैसी है इसमे पकडऩे जैसा कुछ भी नहीं है। जो संसारी जीव इन संसार में आसक्त रहता है वह अपना भव भ्रमण बढ़ाता है। यह संसार हेय है छोडऩे जैसा है।

आपने कहा कि पर्युषण महापर्व का अपार उल्लास झलक रहा है। बच्चे, युवा,वृद्ध सभी इस महापर्व की आराधना हेतु उत्तसाहित नजर आ रहे है। हमारे पूर्वज आचार्यो की असिम कृपा से हम इस महापर्व की आराधना कर पा रहे है। ये महापर्व सभी कुछ भुलाकर आत्मा के निकट रहने का पर्व है। हममें जो-जो बुराइयाँ और दुर्गुण रहे हुए है उन्हें छोडऩे का पर्व है पर्युषण महापर्व।

धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए साध्वी प्रियशीलाजी ने कहा कि सभी स्वर्ग की इच्छा करते है, देवगति में जाना चाहते है। देवलोक में सभी प्रकार की सुख सुविधा है फिर भी वें सुख हमें आत्मिक सुख प्रदान नहीं कर सकते वे छोडऩे योग्य है। साध्वी निखिलशीलाजी के मुखारविन्द से से अर्पित मेहता व अनिरुद्ध गादिया ने तीन-तीन उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। कई आराधकों ने एकासन, बियासन, आयम्बिल, नीवी, उपवास, बेला आदि के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

अंतगढ़सूत्र का वाचन

अंतगढ़सूत्र का वाचन साध्वी दीप्तिजी ने किया। प्रभावना का लाभ श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष कनकमलजी गादिया की पुण्यतिथि के प्रसंग पर स्वर्गीय राजलबाई कनकमल गादिया परिवार द्वारा लिया गया। दोपहर में पोषध भवन पर पुण्यतिथि के अवसर पर नवकार महामंत्र के जाप भी हुए। श्री संघ के पूर्व अध्यक्ष नगीनलाल शाहजी ने स्तवन के माध्यम से अपने विचार रखे। संचालन श्रीसंघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया।

सामूहिक तेले तप का आयोजन

ललित जैन नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा एवं सचिव संदीप शाहजी ने बताया कि श्रीसंघ के श्रावक-श्राविकाए तेले तप (तीन उपवास) की आराधना सामूहिक रूप से कर रहे है। जिनके सामूहिक पारणे 23 अगस्त शनिवार को स्थानीय महावीर भवन पर होंगे। पारणे करवाने का लाभ प्रेमलता बहन भंवरलाल, जिनेन्द्र, अलकेश, प्रांजल लोढ़ा परिवार द्वारा लिया जाएगा।

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