शासकीय महाविद्यालय थांदला ने जिला स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में परचम फहराया

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
विद्यार्थी जीवन में होने वाली विभिन्न क्रीड़ा स्पर्धाओं में जीवन दर्शन के कई तथ्य अनुकरणीय होते है। प्रत्येक खेल में सहयोग और संघर्ष का अनूठा संगम होता है। उक्त विचार शासकीय महाविद्यालय थांदला में आयोजित जिला स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व योजना समिति के सदस्य विश्वास सोनी ने व्यक्त किए। विशेष अतिथि के रूप में भारतीय युवा मोर्चा के जिला महामंत्री संजय भाबर ने खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हार जीत प्रत्येक खेल के साथ जुडी होती है, लेकिन खेल में सहभागीता करना अधिक महत्वपूर्ण है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पीके संघवी ने व्यक्तित्व विकास में खेलों की भूमिका के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा खेल से जीवन में अनुशासन, सामजंस्य, हम की भावना, सहयोग, संघर्ष, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का विकास होता है। विद्यार्थी जीवन, पूरी क्षमताओं एवं योग्यताओं के विकास का स्वर्णिम समय होता है। विद्यार्थियों को अध्ययन के साथ ही अन्य गतिविधियों में सहभागीता करके अपने व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए। इस समय सीखी गई बाते व आदतें पूरी जिन्दगी में उपयोगी सिद्ध होती है। जिला स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में शासकीय महाविद्यालय झाबुआ, पेटलावद व राणापुर की अतिथि टीम के साथ मेजबान शासकीय महाविद्यालय थांदला की टीम पूर्ण जोश और उत्साह से बेहतर प्रदर्शन किया। जिसमें प्रथम स्थान शा. महाविद्यालय थांदला तथा द्वितीय शासकीय अग्रणी महाविद्यालय झाबुआ पर टीम क्रमश: विजेता और उपविजेता रही। थांदला नगर के वरिष्ठ क्रीड़ा शिक्षक कालूसिंह भूरिया व मुकेश भूरिया ने रेफरी की भूमिका निभाई तथा निर्णायक रूप में कोमल बारिया एवं नारू कटारा थे। कबड्डी मैच की कॉमेंट्री अतिथि क्रीड़ा अधिकारी विजय देवल की। खिलाडिय़ों उत्साहवर्धन करने हेतु डॉ. जी.सी. मेहता प्रो. सेलीन मावी, प्रो. बीएल डावर, प्रो. मीना मावी, प्रो. एमएस वास्केल,प्रो. एच डुडवे, दिनेश मोरिया, करण बामनिया, दलसिंह मोरी, अजय मोरी, रमेश डामोर, विक्रम डामोर एवं नवागत अतिथि विद्वानों सहित बडी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन क्रीड़ा विभाग प्रभारी प्रो. पीटर डोडियार क्रीड़ा प्रभारी ने किया एवं आभार प्रो. एसएस मुवेल ने माना।

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