वृक्ष परमात्मा से साक्षात्कार करवाते है – कामदगिरी पीठाधीश्वर

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5झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
अंहकार को पुरूषार्थ से नहीं तोड़ा जा सकता है, बल पोरष से भी नही केवल गुरू कृपा से ही अंहकार का हनन हो सकता है। धनुषयज्ञ में शिव धनुष अहंकार का प्रतीक है। गुरू विश्वामित्र की कृपा से श्रीराम उसे तोड़ सके। धनुष को तोडऩे के बाद श्रीराम उसे दूर फेंकना चाहते थे किन्तु धनुष ने कहा कि मिथिला मे भक्ति का निवास है अत: टूटने के बाद भी मुझे यही रहने दिया जाए। उक्त उदगार गुरूद्वारा नंदनवाटिका मे कामदगिरी पीठाधीश्वर 1008 रामनरेशचार्य ने अभा रामायण मेले की समापन संध्या पर प्रकट किए। महाराज ने कहा कि प्रकृति में ही परमात्मा का निवास है, वृक्ष परमात्मा से साक्षात्कार करवाते है अत वृक्ष उगाइयें। रामचरित मानस के सीता स्वयंवर के समय पुष्प वाटिका प्रसंग को सोदाहरण समझाया। मानस चंचरिक पं जयप्रकाश मिश्र ने कहा कि नाम रूपी बंदक से चले तो ही मानव जीवन रूपी गोली लक्ष्य को भेद सकती है। समाज को पशुता की ओर ले जाए, वह रावण और मानवता की ओर ले जाये वह राम। उन्होंने गांधी ओर गिद्ध जटायु की तुलना करते हुवे कहा कि गांधी भी गिद्ध जटायु की तरह निहत्थे थे। दोना विदेशी शक्तियों से लड़े। रावण ने जाते जाते जटायु के दोनों पंख काट डाले अंग्रेजों ने भी दोनों और पूर्वी व पश्चिमी पाकिस्तन बनाकर भारत माता को भूजा विहीन कर दिया। भक्ति का प्रभाव ऐसा है कि परमात्मा स्वयं चलकर भक्त के पास जाते है। जैसे श्रीराम प्रभु जटायु के पास गए। झंासी से पधारी साध्वी समीक्षाजी ने कहा कि सति और संत और सुर दुनिया को सजाते है और कपटी, कायर और क्रुर दुनिया को ले जाते है। रामायण मेले की विश्राम संध्या पर दीप प्रज्जवलन पं भागवत शुक्ल झाबुआ, पं श्रीरंग आचार्य तथा ओमप्रकाश भटट ने किया। पादुका पूजन का लाभ जगमोहनसिंह राठौर, ओम वैरागी ने लिया। संतों की बिदाई में रामायण मेला आयोजन समिति की ओर से संयोजक नारायण भटट, जयेन्द्र आचार्य, निंरजन पाठक आदि सदस्यों ने शॉल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अतिथि संतों का स्वागत लाभ मोहन पंवार, रामजी राठौड, जमनालाल राठौड़, पं भूदेव आचार्य, जगदीप आचार्य, रमेन्द्र सोनी, पवन नाहर, मनोज उपाध्याय, मुकेश भट्ट, धवल अरोरा आदि भक्तगणो ने लिया। भजनगायिका संगीता जनक रामायणी ने समधुर भजनों से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। अंत में क्षेत्र में अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना भी की गई। संचालन डॉ जया पाठक ने किया।

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