मूक प्राणियों की आत्मिक शांति के लिए जैनियों-जैनेतर भाइयो ने की तप आराधना

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
अहिंसा के अवतार श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने सकल विश्व को प्रेम और मैत्री का सन्देश देते हुए प्राणी मात्र की जीव दया का पाठ पढ़ाया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रिय प्रार्थनाओं में शुमार वैष्णवजन तो ऐने कहिये जो पीर पराई जाने रे की कहावत को चरितार्थ करते हुए जैन समाज ने मूक प्राणियों की आत्मिक शांति के लिए सामूहिक उपवास तप और सामूहिक नवकार मंत्र की आराधना की। जैन समाज ने मूक प्राणियों की दारुण पुकार सुनकर उनकी रक्षा की असमर्थता व्यक्त करते हुए व्यथित मन से सामूहिक धर्म आराधना करते हुए उनकी आत्मिक शांति की कामना की। जैन समाज के नवयुवक मंडल ने घर.घर जाकर तप आराधना करने की प्रेरणा दी जिससे 150 से अधिक की संख्या में तप आराधना हुई जिसमें उपवास, आयंबिल, एकासन के तप शामिल है। 5 जैनेत्तर भाई विश्वास सोनी, विनीत शर्मा, विपिन नागर, भुरू चौहान, गोपाल नागर ने भी इस तप आराधना में भाग लिया। रात्रि में नयापुरा जैन उपाश्रय में सामूहिक नवकार मंत्र के जाप हुए जिसमें बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे शामिल हुए। जाप में नरेश इन्दरमल सकलेचा खाचरौदवाले और धीरजमल ने प्रभावना का लाभ लिया एवं मयूर कुमार वर्धमान तलेरा ने तपस्वियों के पारणे ओर प्रभावना का भी लाभ लिया।

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