थांदला। करीब पांच वर्ष पश्चात थांदला की पावन धरा पर जिन शासन के राजा पुण्य सम्राट श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर शिष्य रत्न राजकिय अतिथि का दर्जा प्राप्त गच्छाधिपति श्रीमद विजय नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 11 व साध्वी रत्ना का भव्य मंगल प्रवेश हुआ। मंगल प्रवेश में विभिन्न स्थानों से आये श्रीसंघ की महिलाओं ने गहुली प्रतियोगिता में भाग लेकर आकर्षक गहूली बनाई व गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया।

एक दिन पूर्व गुरुदेव मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश करते हुए ग्राम खजूरी में विश्राम किया वही प्रातः विशाल वरघोड़ा निकाला जिसमें बैंड, बाजे, ढोल ताशे के साथ आदिवासी नृत्य दल भी शामिल हुए व गुरुदेव की भक्ति करते हुए उनका आशीर्वाद लिया। इस बीच गुरुदेव के जयनाद के मध्य बग्गी में प्रातः स्मरणीय परम पूज्य दादा गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरिश्वर जी महाराज साहब का चित्र विराजमान कर एवं पुण्य सम्राट श्रीमद् विजय जयंतसेन सुरिश्वर जी महाराज साहब के चित्र को विराजमान कर नगर वरघोड़े में शामिल महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर कलश लेकर शामिल होगी वही परिषद के सदस्य पदाधिकारी पारंपरिक वेशभूषा में नजर आई। गुरुदेव का विशाल भव्य मंगल प्रवेश थांदला नगर में होते ही जैन ब्रदर्स के समारोह स्थल पर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया जहाँ गुरुदेव ने उपस्थित परिषद को कहा कि जिसके दिल में मालवा बसा हो उनके भाग्य खुले हुए ही है इसलिए उन्हें भी दिल में पुण्य सम्राट के अलावा किसी ओर को बसाने की जरूरत नही। मालव प्रान्त की गुरुभक्ति किसी परिचय की मोहताज नही है ओर जिनको गुरुदेव ने दिल में बसाया है उन्हें किसी दूसरे सहारे की आवश्यकता भी नही है। गुरुदेव ने सबको धर्म सन्देश देते हुए कहा कि गुरुभक्ति का परम फल शाश्वत सुख होता है इसलिए हमेशा गुरु के उपकारों को याद करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलना सीखें। धर्म सभा में पाटण में शिक्षा प्राप्त करके आये युवा मुनि श्री निपुणरत्न विजय जी महाराज साहेब ने भी सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरुदेव का मालवा से रिश्ता बहुत पुराना है उन्होने संयम जीवन की शुरुआत, चातुर्मास, पहला छरि पालक संघ, मालवा से ही निकाला वही उनके पहले व अंतिम शिष्य भी इसी मालव धरा के ही है इस तरह उन्होने अनेक उपलब्धियों का बखान करते हुए पुण्य सम्राट गुरुदेव के मालवा पर किये उपकारों को गिनाया, उन्होने कहा कि सबको गुरुदेव के साथ फोटों खिंचवाने का बहुत शौक है पर फोटों से ज्यादा एक्सरे अच्छा आना चाहिए तभी भाव सफल होंगे। आज 60 वर्ष से लेकर युवा व बच्चों में भी अपार उत्साह देखने को मिल रहा है यह गुरुदेव का ही पुण्य प्रताप है। उन्होने कहा कि जिस प्रकार तीर्थ पर जिन प्रतिमा एक ही होती है पर हर भक्तों में वह नजर आती है वैसे ही गुरु एक ही है पर हर भक्त को वह साक्षात दिखाई देते है यह उनका चमत्कार है। धर्म सभा में चारित्र विजयजी महाराज साहेब ने कहा कि गुरुदेव मालवा से आज से नही 35 वर्षों से प्यार कर रहे है तब उन्होने गुरुभक्तों की आस जान ली थी तभी उन्होने जाने से पहले ही आपकी हमारी सबकी मनोस्थिति में गुरुदेव नित्यसेन सूरीश्वरजी जैसे धीर गम्भीर विचारक जिन शासन की सेवा में सौंप दिए आज उनकी नैश्राय में वही ठाठ लगे हुए है।आज सैकड़ो अवसर पर पुण्य सम्राट के आशीर्वाद ओर कृपा को गच्छाधिपति गुरुदेव ने वात्सल्यभाव से संघ को संभाला है। आज उनका ही चमत्कार व प्रताप है कि भीषण गर्मी में बिना पंखें कूलर व फोग के बिना कुर्सी के हजारों गुरुभक्त बैठे आचार्य श्री की आगवानी में व उनके मंगल आशीर्वाद के लिए आये है। उन्होने सभी संघों की गुरुभक्ति की भूरी भूरी प्रसंशा की।
