भगवान को केवल विश्वास से प्राप्त किया जा सकता है : संत रघुवीरदासजी

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रितेश गुप्ता, थांदला
वेदों, पुराणों, शास्त्रों में लिखा एक एक वचन भगवान व्दारा लिखा गया है जिनमें जीवन का सार और सार्थकता है। यह सब सनातन है। हमारा आचरण, हमारा व्यवहार, हमारी भक्ति और भगवान की कृपा प्राप्ति का मार्ग यह इन्ही में निहित है। समय समय पर संतोए महापुरूषों ने अपने गुरूजनों की अनुकम्पा से भगवान की कृपा प्राप्त कर इन्है रचा है यह सब कुछ पहले से लिखा है। जब जब भी यह समाप्त हुए है कोई संत पुरूष ने इन्हें पुन: रचित किया है। उक्त उदगार गौभक्त संत रघुवीरदास महाराज ने स्थानीय हनुमान अष्ट मंदिर प्रांगण में श्रीमद भगवत सप्ताह के व्दितीय दिवस पर प्रकट किए, जो भगवान का भक्त होता है वह जितनी देर सत्संग भगवान का स्मरण करता है वह जीवित होता है। सत्संग प्रेम देता है संतसंग गुरूजनों से मिलता है। जीवन में संत सानिध्य हो वही जीवन सच्चा जीवन होता है। जब आपके जीवन में संत मिलन होगा तब यह पक्का है कि भगवान से मिलना होगा। कथा सुनना ही भगवान की सास्वत प्राप्ति है। सबमें भगवान है नामदेव ने कुत्ते में भगवान को देखा, पांडूंरंग ने अपने माता पिता में एमीरा ने सत्संग में, उसे दिखाने वाला संत गुरूदेव है। भगवत प्रेम की व्याख्या करते हूए आपने कहा सौ काम छोडक़र भोजन करना, हजार काम छोडक़र स्नान करन, लाख काम छोडकर दान करना और करोड काम छोडकर भजन करना ही भगवत प्रेम है। भगवत पे्रम के साधन प्रथम भगवान के बारे में जानना। दूसरा संत संग प्रथम भक्ति करना है। शष्मम सत्संग प्रसंग भगवान से प्रेम के खतीर संत बनते है।
गंगा नदी नही ज्ञान है
गंगा दशहरा के पावन अवसर पर आपने गंगा की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा कि गंगा इस देश का विश्वास है केवल नदी नहीं ज्ञान है जिसमें एक डूबकी से हमारे जन्म जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते है। लेकिन आप ऐसा विश्वास करो तो हमारे विश्वास में ही भगवत प्राप्ति निहित है। भले ही हमसे हजार किलोमीटर दूर मां गंगा प्रवाहमान है लेकिन अपने घर आंगन में पानी से भरी बाल्टी में भी हमनें गंगे हर हर-हर गंगे के साथ एक एक लोटा डालकर स्नान किया तो भी वेकुंठ प्राप्त होगा। मानो तो सत्य है ना मानों तो भी सत्य है। जिस प्रकार अग्नि में हाथ डालों तो भी जलाएगी ना डालों तो भी जलेगी। विश्वास करने से लाभ अधिक होता है। हिमालय सनातन है एगंगा सनातन है। यह धरती सनातन है। ऐेसे ही हमारे पूर्वजों ऋषियों का विश्वास भी सनातन है और हमारा यही विश्वास हमें भगवत दर्शन कराता है।

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