झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
भद्रता के साथ श्रेष्ठ उद्देश्य, मनसा वाचा, कर्मणा, परोपकार से भरा, सहजता सरलता और प्रभु राम से जीवात्मा को जोडऩे की क्षमता रखने वाला व्यक्तित्व साधु कहा जाता है केवल साधु का वेष धारण करने वाला नही। उक्त विचार कामदगिरी पीठाधीश्वर जगदगुरू रामनंदाचार्य ने अभा रामायण मेले की तृतीय संध्या पर नंदन वाटिका गुरूद्वारा मे व्यक्त किए। महाराज ने कहा कि अहिल्या और वृंदा की कथा का मर्म समझाते हुए कहा कि अहिल्या और इंद्र का संपर्क जान बूझकर किया गया पाप था। अहिल्या बुद्धि का प्रतीक अवष्ष् थी किन्तु वह इंद्र रूपी भोग से जुड़ गई, जबकि गौतम ऋषि इंद्रीयजय अंधकार का हरण करने वाली प्रज्ञा का प्रतीक थे। बुद्धि का योग के बजाय भोग से जूडना पतन का कारक तो है ही किन्तु राजर्षि विष्वामित्र वह साधु थे जो जीवात्मा को परमात्मा से जोडऩे की सामर्थ रखते थे। वृंदा प्रंसग मे वृंदा अनजाने मे अपने दुष्कर्मी पति का साथ देने का पाप कर रही थी। वहां वृदां का व्यक्तिगत धर्म जालंधर के अधर्म की रक्षा कर रहा था इसलिये नारायण को शाश्वत धर्म की रक्षा के लिए पाषाण हृदय बनकर व्यक्तिगत धर्म पर प्रहार करना पड़ा। प्रयागराज से पधारे मानस चंचरिक पं जयप्रकाश मिश्र ने कहा कि कथाएं स्टोरी नहीं है वह तो जीवात्मा को परमात्मा से जोडने वाली कडी है जो महात्माओ द्वारा लगाई जाती है। जिस तरह से बादल समुद्र के खारे जल को मीठा बनाकर घर घर पहुचाते है उसी तरह से संत महात्मा वेद पुराणो का सार कथा के रूप में आप तक पहुंचाते है। कथा श्रवण मे धन और ज्ञान का अंहकार, नींद और कुतर्क बाधक होते हैं। जीवन रेल की दो पटरिया पर चलने जैसा होना चाहिए। एक पटरी भगवदभक्ति की और दूसरी जीवीकोपार्जन की, जिस तरह भूमि ऊंची-नीची हो तो वर्षा का पानी स्थिर नही रहता है एवं बह जाता है इसलिए भूमि का समतल ओर गहरा होना आवश्यक है उसी तरह सुमति का स्थिर आसन हो और हदय गहरा हो तो संतों द्वारा बरसाया जाने वाला कथा रूपी जल श्रोताओं के ह्दय में स्थिर रहता है। साध्वी समीक्षाजी ने कहा कि जीवात्मा चिंता करता है और संत चिंतन। संत दूसरो के दुख से द्रवित होते हैं। शासन, ऋषियों का अनुशासन जरूरी है। तृतीय संध्या का शुभारंभ जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष गौरसिंह वसुनिया ने सपत्नीक दीप प्रवज्जलित व पादुका पूजन कर किया। पादूका पूजन पं भूदेव आचार्य व योगेन्द्र मोढ़ द्वारा करवाया गया। इस अवसर पर अतिथि संतों को स्वागत लाभ संयोजक नारायण भट्ट, ओमप्रकाश वीणा, बैरागी, मणीलाल नागर, जंयतीलाल पंचाल, अभय नागर, मदनलाल राठौर, कृष्णकांत सोनी आदि भक्तगणों ने लिया। भजन गायिका संगीता जनक रामायणी ने समधुर भजनों से लोगो को मंत्रमुग्ध किया। अंत मे क्षेत्र में अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना भी की गई।
Trending
- पेटलावद में शादी का झांसा देकर आदिवासी महिला के साथ 9 सालो तक आरोपी ने किया शारीरिक शोषण !
- निर्वाचक नामावली संक्षिप्त पुनरीक्षण के अंतर्गत बीएलओ सुपरवाइजर की बैठक रखी गई
- कमलेश पटेल विधायक प्रतिनिधि नियुक्त
- सहकारी संस्था को सोयाबीन तुलाई सेंटर नहीं बनाए जाने से किसानों को आ रही परेशानी
- इनोवा कार से 26 पेटी अवैध शराब बरामद, आरोपी फरार
- जोबट विधायक सेना पटेल के पुत्र पुष्पराज पटेल को कोर्ट से मिली जमानत
- राजेंद्र आश्रम ट्रस्ट कट्ठीवाड़ा के 62वें वर्षगांठ कार्यक्रम में विधायक सेना महेश पटेल ने शिरकत की
- जनपद पंचायत थांदला सहित पूरे जिले के पंचायत सचिव और सहायक तीन दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहेंगे
- जिला जेल परिसर में बंदियों के लिए स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित किया गया
- विधायक सेना महेश पटेल ने विद्युतविस्तार लाइन का किया लोकार्पण