पांच दिवसीय धार्मिक संस्कार- शिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
माता-पिता-गुरु माली के समान होते है। प्रकार योग्य अनुभवी अच्छा माली अपने बागबान को सुन्दर फूलों से आच्छादित कर चारों और का वातावरण सुगंधमय बना देता है। उसी प्रकार चतुर माता-पिता अपने बच्चों को संस्कारित करने के हरसंभव प्रयास करते है और उन्हें योग्य गुरु की शरण में भेजते है। शिविर भी कम समय में अधिक ज्ञान और संस्कार पाने का उत्तम माध्यम होता है। उक्त प्रवचन धार्मिक शिक्षण एवं संस्कार शिविर के शुभारंभ अवसर पर विशाल धर्म सभा एवं डूंगर, मालवा, राजस्थान, गुजरात आदि विभन्न स्थानों से आये शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए अणु वत्स संयतमुनि ने कही। पूज्य ने कहा धार्मिक संस्कार बच्चों को पाप भीरु बनाता है और उसके सद्गुणों रूपी आंतरिक गुणों को विकसित करता है। उक्त धर्म सभा में अणु-मधु शिष्या शिविर प्रेरक पूज्या सुनीता मसा ने कहा कि शिविर में अनुशासन का बड़ा महत्व है इसलिए शिविर की पहली शर्त है बच्चे शिविर के बनाये सभी नियमों का दृढ़ता से पालन करें। अभिभावकों को विशेष धन्यवाद देते हुए कहा कि आज माता-पिता बच्चें की हर जिद पूरी करते है, यहां तक की कम उम्र के बच्चों को स्कूटी, मोबाइल तक दिला देते है फिर स्वयं पछताते हुए कहते है कि बच्चा हमारी सुनता ही नहीं है। इस विसंगति से बचने के लिए यदि माता-पिता दृढ़ बन जाए और उन्हें जिस कठोरता से व्यवहारिक शिक्षा दिलाते है उसी प्रकार उनमें धर्म के बीजारोपण करने में सहायक बनते है तो बच्चों का भविष्य तो सुखद बनेगा ही माता-पिता की वृद्धावस्था में उन्हें इन्ही बच्चों से उपेक्षा नही झेलना पड़ेगी। शिविर के पंजीयन कर रहे धर्मदास युवा संगठन के शिविर संयोजक मयंक पावेचा व प्रशस्त रुनवाल ने बताया कि अब तक थांदला के साथ ही आसपास के 36 श्रीसंघो के 130 बच्चों का पंजीयन किया जा चुका है और शाम तक का समय शेष है। उसके बाद आने वाले बच्चे शिविर के विद्यार्थी तो होंगे परन्तु वे शिविरार्थी नहीं कहलाएंगे। शिविर के व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए श्रीसंघ ने युवा ललित जैन नवयुवक मंडल को दायित्व सौंपा है जो ललित भंसाली और हितेश शाहजी के मार्गदर्शन में सुंदर व्यवस्था कर रहा है। ज्ञातव्य है कि उक्त शिविर आचार्यदेव पूज्य उमेशमुनि अणु के शिष्य प्रवर्तक जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती पूज्य संयतमुनिजी एवं पूज्या मधुबालाजी आदि ठाणा के सुसानिध्य में आयोजित हो रहा है।
पुन: की चातुर्मास की विनति-
थांदला श्रीसंघ कि ओर से जितेंद्र घोड़ावत ने प्रवर्तक देव पूज्य गुरुदेव संयतमुनिजीए पूज्या मधुबालाजी, पूज्या प्रशप्रभाजी के चरणों में आगामी वर्षावास करने का निवेदन करते हुए कहा कि थांदला 200 घरों का बड़ा संघ है जहां नियमित धर्म आराधना होती है। विगत कुछ माह के सानिध्य को पाकर अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने कई व्रतों को ग्रहण किया है यहां तक की 12 जोड़ो ने तो आजीवन शील व्रत को भी धारण कर लिया है ऐसे में इस क्षेत्र की उपेक्षा करते हुए वर्षावास से वंचित रखना सही नही होगा। जितेंद्र भाई ने पूज्या चारित्रप्रभाजी एवं पूज्या कांता मसा के स्वास्थ्य का भी हवाला देते हुए कहा कि अभी पूज्याश्री के स्वास्थ्य के विहार की भी अनुकूलता नही है इसलिए उनके पूर्ण स्वस्थ्य होजाने तक एक चातुर्मास काल तक यहां विराजना उचित होगा। उन्होंने कहा कि पूज्या मधुबाल मसा का चातुर्मास राजगढ़ खुल गया है इसलिए आधे ठाणा वहां और आधे ठाणा थांदला में चातुर्मास कर धर्म प्रभावना का लाभ देवे। आज अणु भगवंत की मासिक पुण्य तिथि होने से अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने व्रत-प्रत्याख्यान लिए। धर्मसभा का संचालन प्रदीप गादिया ने किया आगंतुक मेहमानों के आतिथ्य सत्कार का लाभ श्रीसंघ ने लिया।

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