नगर परिषद अध्यक्ष के बढ़ते दावेदारों से कांग्रेस-भाजपा में संशय बरकरार

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
नगर में इन दिनों वार्डों के आरक्षण के पश्चात राजनैतिक गरमाहट शुरू हो गई है अपने अपने वार्ड में भाजपा एवं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपनी-अपनी दावेदारी जताना शुरू कर दी है। दोनों राजनैतिक दलों में अपनी आपसी प्रतिद्वंद्वता के चलते कार्यकर्ताओं ने अपनी अपनी पैनल बनाकर वार्डो में भ्रमण शुरू कर दिया जनता भी इस चुनाव को लेकर काफी उत्साहित है प्रत्याशियों के चयन को लेकर मतदाता भी खुलकर अपने पसंदीदा प्रत्याशी के लिए दोनों राजनैतिक दलों में अपनी अपनी गुहार लगा रहे है। देखना यह है कि इस चुनाव में राजनैतिक दलों द्वारा स्वच्छ निर्मल छवि वाले या दौलत के बल पर जनाधारविहीन, चरित्रहीन प्रत्याशियों का चयन होगा जो आने वाले समय मे पार्टी की दिशा या दुर्दशा तय करेंगे। नगर में इन दिनों आम चौराहों पर जनाधारविहीन नेताओं की भरमार है तो वहीं जमीन से जुड़े नेता घर घर पहुंचकर रायशुमारी कर जनता का मन ले रहे है। भाजपा में इन दिनों नगर से लेकर जिले तक सभी कार्यकर्ता आपसी अंतर्कलह से जमकर जूझ रहे है। वही कांग्रेस में सभी कार्यकर्ताओं की लगाम कांतिलाल भूरिया के हाथ में होने से पार्टी में आपसी समन्वय बना हुआ है कांग्रेस की परंपरा अनुसार इस बार भी उम्मीदवारों के चयन में पार्टी के पर्यवेक्षक दावेदारों की वास्तविक लोकप्रियता का मूल्यांकन कर योग्य प्रत्याशियों का चयन करेंगे। वार्ड क्रमांक 1 से लेकर 15 तक में वार्ड क्रमांक 8 ही एक ऐसा वार्ड है जहां से सर्वाधिक मतदाता अपनी पसंद का प्रत्याशी चयन कर चुनाव लड़ाने के लिए उत्साहित है। कांग्रेस पार्टी से नगर परिषद अध्यक्ष हेतु उम्मीदवारों की दौड़ में पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश डामोर, जसवंत भाबर, पार्षद किशोर खडिय़ा के नाम एवं भाजपा से अध्यक्ष पद हेतु बंटी डामोर, दिलीप डामोर, सुनीता मिस्त्री, संजय भाबर के नाम चर्चा में है। पूर्व नपं अध्यक्ष राजेश डामोर के पास नगर पंचायत के कार्यकाल का 5 साल का अनुभव है जिसमें उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में परिषद में तालमेल बनाकर नगर विकास में सहभागी बनकर अपनी पहचान बनाई एवं सांसद कांतिलाल भूरिया के काफी करीबी माने जाते है। मृदुभाषी जसवंत भाबर भी अपने पिता पूर्व विधायक रतनसिंग भाबर की लोकप्रियता से अपनी पहचान बनाए हुए है। पार्षद किशोर खडिय़ा भी अपने मिलनसार स्वभाव के कारण अपनी पहचान बनाए हुए है। भाजपा से मिलनसार स्वभाव के धनी बंटी डामोर अपने अनेक कार्यकर्ताओं के साथ आमजन में स्वच्छ छवि के कारण अपनी अलग पहचान बनाई है तो संघ के जुझारू कर्मठ कार्यकर्ता दिलीप डामोर भी इस बार जनता की सेवा करने का मन बना चुके है वही विवादित फर्जी जाति मामले में चर्चित सुनीता वसावा का जिला संगठन में अपना प्रभाव होने से फिर इस बार लडऩे का मन बना चुकी है। देखना अब यह है कि दोनों ही दलों में टिकट बंटवारे को लेकर गुटबाजी के चलते बागी उम्मीदवार नगरीय निकाय चुनाव परिणामों को कितना प्रभावित करते है।

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