ऐसा कार्य करों की गुरुदेव को भी हम पर गर्व हो . संयतमुनिजी
रितेश गुप्ता, थांदला
जिन शासन गौरव आज से 89 वर्ष पूर्व फाल्गुन विदी अमावस्या को थांदला में जन्म लेकर पूरे जग को ज्ञान के प्रकाश से आलौकित करने वालें जैन धर्म प्रभाकर परम पूज्य गुरुदेव उमेशमुनिजी अणु का जन्म महोत्सव उनकी शिष्य सम्पदा अणु वत्स पूज्य श्रीसंयतमुनि,पूज्य चंद्रेशमुनिजी, पूज्य जयन्तमुनिजी, पूज्य अमृतमुनिजी आदि ठाणा- 4 व पूज्या निखशीलाजी पूज्या प्रियशीला, पूज्या श्रीदिव्यशीलाजी एवं पूज्या दिप्तीश्री आदि ठाणा- 4 के सानिध्य में मनाया गया। पूज्य संयतमुनिजी ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसार में अनेक जीव जन्म लेते है परन्तु कुछ आत्माओं का ही जन्म यादगार बन जाता है तो उनमें से भी कुछ आत्माओं का जन्म श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। हमें गर्व है कि हम उनके सानिध्य में जन्म लेकर उनका सानिध्य पाया पर क्या उन्हें हम पर गर्व होता होगा यह चिंतन आज हम सबको मिलकर करना है। उन्होंने आचार्य श्री के जीवन के गुणों पर दृष्टि डालते हुए कहा कि निष्पाप आत्मा सबको अभय दान देती हुई अप्रमत्तता से साधना में प्रवृत्त होती है जबकि हमारी प्रवृत्ति प्रमादी है। वे पूरा जीवन सादगी से जीते है तो हम उत्सव में जिंदगी बिताते है। वे अजातशत्रु बन सबके लिए कल्याणमित्र बन जाते है हम हर किसी से इष्र्या व वैर की गांठ बांध लेते है। वे क्षमा वीर बनकर छोटों पर भी उपकार करते है तो हम अहंकार का पौषण करते है। वे सरलता को धारण करते है तो हम कपट द्वारा अपने ही सगे सम्बन्धियों को ठगते है। वे कौतुहल से परे पद प्रतिष्ठा को गौण करके सूत्र सिद्धान्त के प्रति दृढ़ आस्था रखते हुए आत्मार्थी बन जाते है तो हम स्वार्थ के वशीभूत नाम की लोलुपता में सूत्र सिद्धान्त को भी भूल जाते है। पूज्य श्री ने कहा कि आचार्य भगवंत में ऐसे अनेक गुण विद्यमान थे हमें उन गुणों को आगे रखते हुए अपना स्वयं का आकलन करना चाहिए और दुर्गुणों को छोड़कर सद्गुण अपनाना चाहिए तभी उन्हें भी हम पर गर्व होगा। धर्म सभा मे पूज्य चन्देशमुनिजी ने भी गुरु महिमा का बखान करते हुए कहा कि अनासक्त योगी ने स्वय पर का भेद विज्ञान समझकर संयम को धारण कर श्रुत ज्ञान से मति निर्मल बनाते हुए अहिंसामय धर्म की प्रभावना की। उनके अकिंचन स्वभाव और जागृत चिंतन ने बताया कि यह जीव अनादि से बिना मन के ही अनन्त काल तक निगोद यावत विकलेन्द्रिय में परिभ्रमण करते हुए पुण्योदय से ही इस मानव भव में आया है जहां कषाय आदि कर्म से मुक्ति की सम्यग साधना करके वह इस भव को सफल बना सकता है। उनके जीवन की अनमोल शिक्षा ही संघ समाज एकता के सूत्र में बंधकर जिन आज्ञा मय जीवन व्यतीत करने में है। पूज्या निखिलशीलाजी मसा ने कहा कि धन संपदा, सुंदर यौवन, भौतिक सम्पन्नता एवं कुशल लेखकए वक्ता या गायक बनने से कोई महान नही बन जाता अपितु वह मन की सरलताए हृदय की कोमलता, स्वभाव की शीतलता व वाणी माधुर्य से ही महान बनता है। गुरुदेव में ये सभी गुण विद्यमान थे जो उन्हें महान और विश्व वंदनीय बनाते है। उन्होंने कहा कि आज गुरुदेव तो नही है लेकिन उनका अनमोल श्रुत साहित्य रूप ज्ञान का भंडार सभी के साधनामय जीवन में अभिवृद्धि करने के लिए माइल्ड स्टोन का काम कर रहा है। इस अवसर पर पूज्या दीप्तिश्रीजी ने जन्मदिवस मंगलम, नमो गुरुवरम के माध्यम सेए अणु आराधना मण्डल, कामिनी रुनवाल व बेबी निष्का श्रीश्रीमाल ने स्तवन द्वारा अपने भाव व्यक्त किये।
रुनवाल परिवार ने लिया तप अनुमोदना का लाभ
श्रीसंघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत, महिला मंडल अध्यक्ष शकुंतला कांकरिया, ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष कपिल पीचा, संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि अणुवत्स के मंगल पदार्पण होते ही सकल संघ में गुरुभक्ति का वातावरण निर्मित हो गया है यही कारण है कि आज गुरु जन्म महोत्सव व पक्खी पर्व पर 300 आराधकों ने तपस्या कर गुरु चरणों में जैन धर्म के प्रति अपनी आस्था प्रकट की है। सभी तपस्वियों के पारणे का लाभ अभय कुमारए अरविंद कुमार, इंदर कुमार रुनवाल परिवार ने लिया है वही आज की प्रभावना का लाभ मालती शाहजी व समरथमल तलेरा ने लिया है।
अणु जन्म महोत्सव पर यह भी आयोजन हुए
अणु स्मृति दिवस पर सामाजिक आयोजन में जैन सोशल ग्रुप ने मूक पशुओं के लिए दाना पानी की व्यवस्था की वही स्थानीय शासकीय अस्पताल में मरीजों को साता उपजाने फल बिस्किट आदि बांटे वही धर्मलता महिला मंडल ने कम्बल वितरण कर पुण्यार्जन कर गुरुदेव के प्रति अपनी भक्ति प्रकट की। इस अवसर पर स्थानक वासी श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, मंत्री प्रदीप गादिया, संगठन के अध्यक्ष ललित कांकरिया, पूर्वाध्यक्ष हितेश शाहजी, सचिव महावीर गादिया, संघ प्रवक्ता पवन नाहर, पारस छाजेड़, कमलेश कुवाड़, चिराग घोड़ावत,अभिषेक मेहता, अंकित जैन आदि उपस्थित थे।