तत्वज्ञ धर्मेन्द्रमुनिजी के सान्निध्य में नवपद ओलिजी तप आराधना संपन्न

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थांदला। जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. “अणु” के अंतेवासी शिष्य बुद्धपुत्र प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी  म.सा. के आज्ञानुवर्ती वरिष्ठ स्थवीर संत बाल ब्रम्हाश्चारि तत्वज्ञ पुज्य श्री धर्मेन्द्रमुनिजी म.सा., तपस्वीराज पूज्य श्री दिलीपमुनिजी म.सा., बाल ब्रम्हाश्चारि मधुर व्याख्यानी पूज्य श्री गिरिशमुनिजी म.सा., बाल ब्रम्हाश्चारि चिंतनशील पूज्य श्री प्रश्स्तमुनिजी म.सा. एवं सेवाभावी पूज्य श्री सुयशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा-5 एवं पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा – 4 के  पावन सानिध्य में नवपद ओलिजी की तप आराधना का समापन हुआ। 

तत्वज्ञश्री ने विगत नो दिनों तक नव पद पर गुरुदेव के द्वारा रचित आरती की अनुप्रेक्षा की वही आज पूज्य श्री विनयमुनिजी द्वारा रचित 15वें तीर्थंकर धर्मनाथ जी भगवान की गीतिका के माध्यम से धर्म का जीवन में महत्व प्रतिपादित किया। उन्होनें कहा कि धर्म जीवन में प्राण की तरह एक मेक हो जाना चाहिए फिर हर घड़ी हर पल प्रभु भक्ति है जिससे भगवान का अजाप भी जाप ही है। उन्होनें कहा कि धर्म शुद्ध बनने की क्रिया है जो निरन्तर प्रगतिशील होना चाहिए। सभी ओलिजी तप आराधकों को धन्यवाद देते उन्होनें धर्म में तप का महत्व बताया और सबको निरन्तर तप करने की प्रेरणा दी व कहा कि जब तक शरीर है तब तक दुख है व तप से आने वालें भव में श्रेष्ठ शरीर मिलता है जो तप आराधना की निरन्तरता से अशरीरी बना देता है। इस दौरान तपस्वी पूज्य श्री दिलीपमुनिजी ने कहा कि एक जीव को हमेशा समयानुसार निरन्तर कुछ न कुछ तप करते रहना चाहिए। इस दौरान उन्होनें ओलिजी तप आराधकों के साथ उपस्थित परिषद को तप के 12 भेद को क्रमशः विस्तृत रूप से समझाया व कहा कि अभ्यन्तर तप में वैयावच्च तप मोक्ष दिलाता ही है इसलिए सभी वैयावच्च तो कर ही सकते है वही अन्य तपस्या भी करते रहना चाहिए। धर्मसभा में तपस्वियों ने तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किये। प्रवचन की प्रभावना जितेंद्र कुमार नीलेश कुमार पावेचा परिवार, बुद्धिलाल शैलेन्द्र कुमार कांकरिया परिवार तथा पोपटलाल चर्चिल गंग परिवार द्वारा वितरित की गई। संचालन संघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया।

ओलीजी तप आराधना एवं प्रभावना के रहे गुप्त लाभार्थी

जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि नो दिवसीय तप आराधना के गुप्त महानुभाव लाभार्थी रहे जिन्होंने करीब एक लाख रुपये से ज्यादा व्यय कर सभी आराधकों को नो दिवस तक ओलिजी करवाई साथ ही अंतिम दिवस पारणें व प्रभावना का लाभ भी लिया। वही प्रिया प्रफुल्ल कुमार तलेरा के सुपुत्र विशेष तलेरा की प्रथम ओलीजि के उपलक्ष्य में सभी तपस्वियों को प्रभावना देकर सम्मान किया। श्रीमती सुभद्रा रमेशचंद्र श्रीश्रीमाल परिवार व अन्य गुप्त महानुभावों ने भी द्रव्य प्रभावना देकर  तप अनुमोदना का लाभ लिया। उल्लेखनीय है कि 72 तपस्वियों ने विगत नो दिन दूध, दही, घी, तेल, शक्कर आदि विगय रहित केवल उबला व सिका हुआ भोजन के रूप में बना हुआ आहार दिन में केवल एक ही बैठक पर गर्म जल अथवा राख मिला धोवन पानी के साथ ग्रहण कर आराधना की। धर्मलता महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती सुधा शाहजी, अखिल भारतीय चन्दना श्राविका संगठन प्रांताध्यक्ष श्रीमती इंदु कुवाड़ एवं ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा के नेतृत्व में नो दिन तक श्रीसंघ के करीब सभी परिवारों ने एक एक दिन सेवा कर पुण्यार्जन किया। इस सफल आयोजन के लिए श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत एवं वरिष्ठ सदस्य नगीनलाल शाहजी ने सभी को धन्यवाद दिया है।

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