जयकारों के साथ बग्गी में निकला दीक्षार्थियों का वरघोड़ा- सकल जैन व प्रजापति समाज ने किया बहुमान

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रितेश गुप्ता थांदला
मूर्तिपूजक श्रीसंघ एवं प्राजापति समाज थान्दला द्वारा नयापुरा स्थित जिनालय से दीक्षार्थी प्रमोद व किरण के इकलौते इंजीनियर पुत्र मयंक पावेचा थान्दला व बाजना निवासी शंकरलाल व हीरादेवी की लाड़ली बीटिया मुमुक्षु बहन किरण प्रजापत की दीक्षा अनुमोदनार्थ भव्य वरघोड़ा का आयोजन किया गया। बैंडबाजों के साथ दीक्षार्थियों को बग्गी में बिठाकर सकल जैन संघ व प्राजापति समाज ने दीक्षार्थियों के गगनभेदी जयघोष के साथ नगर के मुख्य मार्गों से वरघोड़ा निकाला। वरघोड़ा सबसे पहले एमजी रोड होते हुए भंसाली चौराहे पर पहुंचा जहां प्रजापति समाज ने दीक्षार्थियों के साथ उनके परिजनों का भी भव्य स्वागत बहुमान किया। साथ ही वरघोड़े में चल रहे श्रद्धालुओं को आइसक्रीम खिलाई। वहां से वरघोड़ा रघुनन्दन मार्ग, गांधी चौक, आजाद मार्ग आदि होता हुआ पुन: मन्दिरजी पहुंचा। इस बीच दिगम्बर समाज, सोनी समाज, श्वेताम्बर समाज, तेरापंथ समाज, कपड़ा व्यापारी संघ आदि विभिन्न समाज, संगठनों एवं व्यक्तिगत परिवारों ने जगह-जगह उनका अभिनन्दन किया। इस अवसर पर श्वेताम्बर स्थानक पौषध भवन पर विराजित महासती पूज्या धैर्यप्रभाजी एवं निखिलशिलाजी ने परिषद को धर्म संदेश देते हुए संयम मार्ग को जन्म-जरा-मरण से छुटकारा पाने का सबसे सरल मार्ग बताया। उन्होंने संयम की महिमा बताते हुए कहा कि पूर्व भव के संचित शुभ कर्म और इस भव के सार्थक पुरुषार्थ के परिणाम से जीव को जिन शासन का सानिध्य मिलता है और वह उसका आचरण करता है। जिनालय के निकट पौषधशाला में टीना जैन ने स्तवन प्रस्तुत किया। वही श्रीसंघ अध्यक्ष कमलेश जैन ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा समाजसेवी नगीनलाल शाहजी ने दुर्लभ मानव जीवन की विशेषता का वर्णन करते हुए मुमुक्षु आत्माओं को शुभ संदेश दिया। धर्मसभा में मुमुक्षु मयंक पावेचा ने मन्दिर से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया। वही सभी से हार्दिक क्षमा याचना भी की। वही मुमुक्षु किरण बहन ने गुरु के सानिध्य को जीवन परिवर्तन का निमित्त बताया। सभा के अंत मे मूर्तिपूजक संघ ने दीक्षार्थियों, उनके परिजन व प्रजापति समाज का भी स्वागत सम्मान किया। इस अवसर पर पूर्वाध्यक्ष उमेश आर पीचा, समाजसेवी रजनीकांत शाहजी, यतीश छिपानी, चंचल भंडारी, अभय मेहता, महावीर मेहता, शंकरलाल प्रजापति, कमलेश प्रजापति, महेश गढ़वाल, जगदीश प्रजापति, शंभूलाल प्रजापति, चिराग घोड़ावत, चंद्रकांत पीचा, प्रवीण पालरेचा, अभय बावरिया, रखब लुक्कड़ सहित सकल जैन समाज एवं प्राजापति समाज के महिला-पुरुष शामिल थे।
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