अच्छे संस्कारों से भविष्य सुंदर बनता है : मुनि पृथ्वीराज जसोल

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thandla (1) झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
थांदला। बालकों की प्रथम पाठशाला होती है परिवार, परिवार में प्राप्त संस्कारों के आधार पर जीवन निर्माण होता है जिन बच्चों को प्रारंभ से ही अच्छे संस्कार मिलते हैं उनका भविष्य सुंदर बन जाता है। परिवार के बाद जब बच्चा स्कूल में जाता है, तब अध्यापकों एवं सहपाठियों के संस्कार भी परस्पर संक्रांत होने लग जाते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि छोटे-छोटे संकल्पों से अपने जीवन का निर्माण करें। टीवी देखते अथवा पढ़ाई करते हुए खाना नहीं खाना, नशा नहीं करना, नकल नहीं करना, माता-पिता को प्रणाम करना, अपने अध्यापकों का आदर-सम्मान करना। यही नियम बच्चों के जीवन का निर्माण करने वाले हैं। यह विचार आचार्य श्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि पृथ्वीराज जसोल ने संस्कार पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों के समक्ष दिए। मुनि चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी जीवन में अपना कॅरियर बनाना चाहता है किंतु कॅरियर तब बनेगा, जब लगन, पुरुषार्थ और भाग्य का प्रबल योग्य होगा। विद्यार्थी यह लक्ष्य बनाए कि मैं कुछ होना चाहता हूं, यदि कुछ होना है तो जीवन को बदलना होगा, अपनी दिशा में बदलाव करना होगा। लेकिन बनने में केवल वेश बदलना होता है जबकि होने में जीवन बदलना होता है। बनना सरल है, पर होना कठिन है। आज पार्ट अदा करने वाले राम-कृष्ण बनते हैं, पर होते नहीं। जरूरत है विद्यार्थी कुछ होने की दिशा में सार्थक प्रयास करें।
मुनि अतुल कुमार ने कहा कि जीवन में भविष्य को चमकाने वाली है शिक्षा। माता-पिता व गुरुजन भी यही चाहते हैं मेरे बच्चे का चरित्रिक निर्माण हो। इनकी बुद्धि के साथ भाव शुद्धि हो, रील लाइफ को छोड़कर रीयल लाइफ जीए, इनमें समर्पण का भाव विकसित हो, आत्मज्ञान की दिशा में आगे बढ़े। यदि ऐसा होता है सचमुच विद्यार्थियों को पढऩा, अध्यापकों को पढ़ाना और मां-बाप का जन्म देना सार्थक हो सकेगा। इस अवसर पर प्रिंसिपल ललित कांकरिया ने मुनिवृंद का स्वागत अभिनंदन किया। विद्यार्थियों का सामूहिक प्रार्थना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। स्कूल की प्रबंधक ममता कांकरिया, श्रीयक कांकरिया, प्रवीण श्री श्रीमाल, राजेंद्र बरमेचा आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। समारोह का संचालन गणित प्राध्यापक मंयक पावेचा ने किया।

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