योगेंद्र राठौर, सोंडवा
जैसे-जैसे 17 नवंबर की तारीख करीब आ रही है वैसे-वैसे चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच रहा है। कभी बीजेपी कभी कांग्रेस कभी निर्दलीय अपना अपना जोर दिखाते नजर आ रहे हैं। हालांकि जनता मौन है वह अपना पक्ष सुरक्षित रखे हुए हैं । खाटला बैठक आज भी इस आधुनिक दौर में जनता से जुड़ने का नायाब तरीका है आदिवासी क्षेत्र में । हालांकि अब चुनाव हाईटेक भी हो चुका है। व्हाट्सएप फेसबुक इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया साइटों पर भी आरोप प्रत्यारोप का दौर और अपनी-पनी पार्टियों का प्रचार प्रसार और अपनी अपनी भावनाएं व्यक्त की जा रही है।
सबसे सशक्त माध्यम प्रचार करने का हमारे आदिवासी क्षेत्र में साप्ताहिक हाट बाजार है जहां प्रचुर मात्रा में लोग एकत्रित होते हैं तथा प्रत्याशी को अपनी बातें मतदाता तक पहुंचाने में आसानी होती है। इसलिए लगातार साप्ताहिक बाजारों में प्रत्याशी व उनके सहयोगी सबसे ज्यादा इस पर फोकस करते हैं। आरोप प्रत्यारोप का दौर भी जारी है, जहां कांग्रेस बीजेपी के 18 सालों का हिसाब मांग रही है वहीं बीजेपी कांग्रेस के 15 महीनो के बारे में जनता को बता रही है। वहीं निर्दलीय अपने क्षेत्र के अस्मिता और अपने क्षेत्र का विधायक के नाम पर वोट मांग रहे है तो कुछ निर्दलीय बेरोजगारी को अपना मुख्य मुद्दा बनाते हुए हैं। अब देखना यह है कि आखिर जनता जो मोन धारण किये हुए हैं 17 तारीख को अपना मोन तोड़ किसे अपना 5 साल का साथी बनाती है।
