जनजातीय गौरव दिवस के अंतर्गत जनजाति विकास मंच द्वारा पटेल-पुजारा-कोटवार सम्मेलन का आयोजन किया

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शिवा रावत, सोंडवा

भगवान बिरसा मुंडा जयंती के उपलक्ष्य में जनजाति विकास मंच द्वारा जनपद पंचायत सोंडवा के सभागार में एक भव्य पटेल, पुजारा और कोटवार सम्मेलन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, पुजारा, कोटवार, समाजसेवी और जनजातीय समाज के लोग उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ नर्मदा के पूजन और भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। इस अवसर पर जनजाति विकास मंच के जिला अध्यक्ष राजेश डुडवे ने कहा कि –“भगवान बिरसा मुंडा हमारे समाज के महान स्वतंत्रता सेनानी, धर्म रक्षक और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक थे। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी और ईसाई मिशनरियों के धर्म परिवर्तन के प्रयासों का विरोध किया। बिरसा मुंडा ने कहा था – ‘मैं आदिवासी हिंदू हूं, किसी अंग्रेजी मिशन स्कूल में नहीं पढ़ूंगा।

उन्होंने अपनी मातृभूमि और समाज की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए बलिदान दिया। अंग्रेजों ने उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया और साजिश के तहत उन्हें बीमारी देकर शहीद कर दिया। उनका जीवन आज भी हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।”

इसके पश्चात जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि जयपालसिंह खरत ने कहा कि –“आदिवासी समाज की अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपरा है। हम बाबा देव की पूजा करते हैं, दिवाली और अन्य पर्व पूरी श्रद्धा से मनाते हैं। भगवान बिरसा मुंडा और छीतू किराड़ जैसे महापुरुषों ने हमारी संस्कृति को बचाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। उनके आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।”

उन्होंने आगे बताया कि 15 नवम्बर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी अलीराजपुर में भगवान बिरसा मुंडा और छीतू किराड़ की मूर्तियों का अनावरण आदिवासी परंपरा के अनुसार करेंगे। यह दिन जनजातीय गौरव और एकता का प्रतीक बनेगा।

कार्यक्रम में मंडल अध्यक्ष प्रदीप सोलंकी,नानसिंह रावत,पटेल रमेश, चंदू चौहान, विभिन्न ग्रामों के सरपंच, पुजारा, कोटवार, रोजगार सहायक, सचिव, और जनजाति विकास मंच के पदाधिकारी व कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

सम्मेलन के अंत में सभी ने यह संकल्प लिया कि वे भगवान बिरसा मुंडा के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने, जनजातीय संस्कृति की रक्षा करने और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएँगे। यह सम्मेलन जनजातीय अस्मिता, गौरव और एकता का सशक्त प्रतीक बना।

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