मानवता की जीती जागती मिसाल है इंदौरी सोनू सूद जय्यू जोशी

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कुंवर हर्षवर्धन सिंह @ राणापुर

आज हम जिन की बात कर रहे हैं उनका नाम आपको हर दिन दुखियों के जुबान पर मिल जाएगा। पिछले कुछ समय में इन्होंने जो सम्मान लोगों की मदद करके पाया है इसका अंदर हम इसी बात से लगा सकते हैं कि इन्हें इंदौर का सोनू सूद के नाम से पहचाना जाने लगा है। 

लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने की उनकी यात्रा संघर्षों से भरी रही हम बात कर रहे हैं झाबुआ जिले के एक छोटे से गांव झकनावदा के जयदीप जोशी उर्फ जयू जोशी की बचपन में ही इन्होंने अपने मां-बाप को खो दिया उसके बाद जयू जोशी ने समाज सेवा को ही अपना लक्ष्य बना लिया और उन्हीं को अपना मान लिया जिनका कोई नहीं। पहले तो समय मिलने पर समाज सेवा का कार्य किया करते थे जिसमें मानसिक रोगियों का उपचार लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार उनके धर्म अनुसार बच्चों की शिक्षा एवं गरीबों की जरूरतों को पूरा करने का कार्य समय मिलने पर इन्होंने किया। लेकिन समाज सेवा करते करते इन्हें इतना संतोष मिलने लगा कि अभी कुछ माह पूर्व इन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी और अपना पूरा समय समाज की सेवा में लगा दिया पूरे दिन में 24 घंटे में कभी भी किसी को भी कोई भी जरूरत हुई वहां पर जय्यु जोशी को लोगों ने अपने पास पाया । जय्यू जोशी का कहना है की जिंदगी जीने के लिए पैसों की क्या जरूरत है उसके लिए सिर्फ दुआ ही काफी है हमारे देश के 1% लोग भी यदि जयू जोशी जैसे हो जाए तो हमारे देश का हर व्यक्ति समर्थ हो जाए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जयू जोशी समाज सेवा के इस कार्य को यूं ही जारी रखें और ईश्वर इन्हें और शक्ति दे ताकि और अधिक लोगों का साथ दे सकें।

डिलेवरी बाॅय से समाजसेवा का सफर कैसा रहा

ये सफर काफी संघर्ष वाला रहा। दिन भर की भागदौड़ के साथ दिन दुखियो की सेवा करने में कुछ समय बहुत परेशानी आई। आर्थिक रूप से भी बहुत समस्या का सामना किया, पर कहते है ना अगर दिल में सच्ची भावना हो तो स्वयं भगवान मदद करने आ जाते है। ऐसा ही कई बार मेरे साथ हो जाता है। स्वयं भगवान मेरी मदद नेक कार्य को करने में करते है।

जीवन का ऐसा समय जब हार मानी हो

हां एक समय ऐसा आया था जब में हार चुका था। जब मेरा बचपन का प्रेम मुझसे दूर हुआ तब लगने लगा की सब कुछ खत्म हो चुका हे। पर दिन दुखियो की पीड़ा ने मुझे संभाले रखा।

आपकी प्रेरणा

मेरी प्रेरणा मेरी प्रेमिका रही। उसी ने मुझे मानवता के रास्ते पर चलना सिखाया। उसके सहयोग और सपोर्ट से ही में लोगो की मदद करने के लायक बन सका। मेरा पहला गुरु वही थी। अफसोस होता है की आज इस सफर में अब वो मेरे साथ नहीं। पर मुझे यकीन है की वो जहा भी है सदेव मेरे अच्छे कार्य में मेरे साथ ही है। में खुद बिन माता पिता का बालक था ऐसे विपरीत समय में एक वही मेरा परिवार थी।

सोनू सूद नाम कैसे रखा गया आपका

सोनू सूद नाम इंदौर शहर के चाहने वाले लोगो और यहा की मीडिया द्वारा दिया गया। जिस तरह सोनू जी द्वारा पीड़ित लोगो की मदद की जाती है, उसी तर्ज पर मेने भी उनका अनुसरण करने की काफी हद तक कोसिस की।

आज तक के सेवा कार्य

आज तक करीब 200 से ज्यादा लावारिश शवो को मोक्ष दे चुका हु, सेकडो पीड़ित लोगो को सड़क से उठा उपचार दिलवाया गया है। मानसिक रोगियों का उपचार और कायाकल्प तथा उनकी घर वापसी। सेकडो लोगो की निशुल्क गंभीर सर्जरी करवाई जा चुकी है। और भी कई प्रकल्पों पर कार्य चल रहा है।

किस्से जो दिल के करीब हो

ऐसे तो कई भावनात्मक किस्से जुड़े हुए हे, मगर सबसे करीब किस्से ऐसे दुखी मनुष्यो के हे जिनको जीते जी पूरे शरीर में कीड़े लग चुके थे। उन्हें ठीक होते हुए देख उनके परिवार के पास भेजना ही मेरी आज तक की सबसे बड़ी कमाई थी।

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