बिना आत्मा के उन्नति नहीं होती : चारित्रकलाजी

May

5झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
जीवन में 4 तत्व ध्यान, श्रद्धा, रमणता और स्थिरता आ जाने पर केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है। हमारी आत्मा 4 बोझ है। इनके भार को हल्का किए बिना आत्मा की उन्नति नहीं हो सकती। उक्त बातें आचार्य जयंत सेन सूरीश्वर जी मसा की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी चारित्रकलजी ने कही। वे नगर में चातुर्मास के लिए विराजित है।रविवार को उनके दर्शनार्थ दाहोद गुजरात से संघ आया। सभा की शुरुआत साध्वी के मंगला चरण से हुई। संचालन करते हुए कमलेश नाहर ने चातुर्मासिक गतिविधियों का ब्योरा दिया। अपने संबोधन में साध्वी ने आत्मा के चार बोझ व उनसे मुक्त होने के उपाय बताये। उन्होंने बताया कि पहला बोझ सम्पति का है इसे व्यक्ति अपनी उदारता से दूर कर सकता है। दूसरा बोझ चाहना का बताया इसे दूर करने का उपाय प्रेम बताया। उन्होंने कहा कि आज हम सब प्रेम के अभाव में एक दूसरे पर शंका करते रहते है, जहां प्रेम होता है वहां व्यक्ति नि:सन्देह बन जाता है। तीसरा बोझ पाप को बताते हुए इसे पश्चाताप से दूर हटाने को कहा। आपत्ति को चौथा बोझ बताते हुए साध्वी ने बताया कि आई आपत्ति को स्वीकार कर लेना ही इससे मुक्ति का साधन है। डिंपल बहन ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। दाहोद श्री संघ की ओर से पारस भाई मोदी ने विचार व्यक्त किये।दाहोद संघ के प्रमुख महेश भाई भंडारी, भंवर भाई चोपड़ा, आंगी लाभार्थी अभय भंसाली का सम्मान दिलीप सकलेचा,अनिल सेठ, चंद्रसेन कटारिया, शांतिलाल सकलेचा, प्रदीप भंसाली, तरुण सकलेचा, राजेन्द्र सियाल, रमण कटारिया व मुकेश नागोरी ने किया।
महाविदेह धाम में अर्पण की आंगी
महाविदेह मधुकर धाम में मूलनायक सीमंधर स्वामी व शांतिनाथ भगवान की आंगी का लाभ स्वर्ण शांति बाई बाबूलालजी भंसाली परिवार ने लिया था।रविवार को ये आंगी परमातमा को अर्पण की गई। राजेन्द्र भवन से जुलूस के रूप में सभी महाविदेह धाम पहुंचे, यहां पर साध्वी ने आंगी पर वासक्षेप किया। इसके पश्चात भंसाली परिवार ने भगवान की प्रतिमा पर आंगी पहनाई। मंत्रोचार की ध्वनि के साथ ही प्रभु स्तुतियों से जिनालय गूंज उठा। हर कोई प्रभु भक्ति में लीन हो गया। दाहोद श्रीसंघ, भंसाली परिवार व कमल बांठिया की ओर से प्रभावना हुई। रमेश नाहर, राजेश नागोरी, जितेंद्र सालेचा, मांगीलाल व्होरा, सजनलाल कटारिया, मांगीलाल सकलेचा आदि उपस्थित रहे।