तपस्वी बुलबुल सकलेचा के 16 उपवास पर निकाली शोभायात्रा

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20160914_102206झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
बुलबुल संतोष सकलेचा ने गर्म जल के आधार पर 16 उपवास की तपस्या पूरी की। साध्वी चारित्रकला श्रीजी की प्रेरणा से यह तपस्या हुई। बुधवार को उनका पारणा हुआ।एक शोभायात्रा नगर में निकाली गई। गलिया तपस्वी की जय जयकार से गूंज उठी। खास बात यह रही कि बुलबुल ने अन्य तपस्वियों की तरह बग्घी का उपयोग नही किया। बल्कि रास्ते वह पैदल चलते हुए नगर जनों का अभिवादन स्वीकार कर रही थी। शोभायात्रा उनके निवास स्थान से शुरू हुई। पुराना बस स्टैंड, शुभाष चौपाटी, आजाद मार्ग, जवाहर मार्ग, सरदार मार्ग से होकर गुजरी। शोभायात्रा में नप अध्यक्ष केलाश डामोर सहित अनेक लोग शामिल हुए। शोभायात्रा में जिन प्रतिमा को रथ में विराजित किया गया था।समाजजनों ने अक्षत से गहुली कर बधाया।जगह जगह गरबे किये गए । तप अनुमोदन सभा राजेन्द्र भवन में हुई। गुरु वंदन पूजा चौधरी ने करवाया। साध्वी चारित्रकला श्रीजी के मंगला चरण से सभा की शुरुआत हुई। श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप सकलेचा, चातुर्मास समिति अध्यक्ष राजेंद्र सियाल, सुरेश समीर, संदीप सकलेचा ने तप अनुमोदन में विचार रखे। रानी कोठारी ने तपस्या गीत गाया। तपस्वी को विनय व नीलेश मामा की ओर से चांदी की कटोरी भेंट की गई। श्रीसंघ की ओर से मनोरमा सालेचा, सुशीला सकलेचा, विजय कोठारी, मितिन सकलेचा, शैतानमल कटारिया आदि ने बुलबुल का बहुमान किया। संचालन कमलेश नाहर ने किया।आभार संदीप सकलेचा ने व्यक्त किया। अपने उद्बोधन में साध्वी श्री चारित्रकला श्रीजी ने कहा व्यक्ति को मन एवचन एकाया को दृढ़ बनाना चाहिए। इनकी शक्ति का पूरा उपयोग कर धर्म कर्म करना चाहिए। इनका पूरा उपयोग केवल मनुष्य ही कर सकता है कोई दूसरा प्राणी नही।यह जानकारी मीडिया प्रभारी कमलेश नाहर व ललित सालेचा ने दी।

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