जो व्यवहार हमें पसंद नहीं वह दूसरों के साथ नहीं करना सच्ची सेवा है : मुनि प्रसन्नसागरजी

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मयंक गोयल, राणापुर
भगवान सेवक ढूढे किनारा, कभी न कभी तो मिलन होगा तुमसे हमारा जैसी मधुर संगीत और दिगंबर जैन सन्त की आवाज से शुरु मुनिराज प्रसन्न सागरजी ने अपने प्रवचन की शुरुआत करते हुए धर्म का महत्व बताते हुए कहा कि पूजन, सत्संग, आराधना या किसी की सेवा कतई धर्म नहीं है। सच्चा धर्म तो चित्त की चरित्रता, मन की सरलता और ह्रदय की पवित्रता ही है। मुनिश्री ने बताया की जो व्यवहार हमे पसंद नहीं है वह दूसरों के साथ नहीं करना सच्ची सेवा है। पाप से दुख-पुण्य से सुख प्राप्त होता हे पर धर्म से अनन्त सुख मिलता है।
तीन दिनी सिद्धचक्र विधान महोत्सव आज से-
नगर के सौभाग्य से जैन मुनि संत प्रसन्न सागरजी महाराज का नगर में प्रवेश हुआ, आज से तीन दिन का सिद्धचक्र विधान महोत्सव चालू होगा, सुबह 6 बजे से भगवान का अभिषेक, शांतिधारा नित्य पूजा के साथ, विधान की पूजन दिगम्बर जैन बड़ा मंदिरजी में पूज्य मुनिश्री सानिध्य में पढ़ाई जाएगी। वही शाम को अग्रसेन भवन में आनंद यात्रा, भक्ति की जाएगी। इस महोत्सव में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश के साथ अनेक कई राज्य से भक्त पहुचेंगे। वही एक दिन पूर्व सुबह 3 बजे से 6 बजे तक महाराजजी द्वारा अग्रसेन भवन में नित्य पूजा कराई गईए मुनिश्री प्रसन्न सागर मसा, पीयूष सागरजी महाराज एवं एलकजी पर्व सागरजी महाराज का आहार कराने लाभ मोहनलाल हंसराज अग्रवाल परिवार, कल्याणमल पंचोली परिवार मिला। इस अवसर पर मुनिश्री पियुष सागर ने सकल दिगंबर जैन समाज की और से तीन दिवसीय श्रीसिध्ध चक्र विधान का महत्व बताते हुए सती चन्दना और राजा श्री पाल का व्रतांत सुनाते हुए कहा की ज्यादा लोग इसमे सम्मिलित होने का प्रयत्न करे। विधान को सानंंद सम्पन्न कराने हेतू विभिन्न समितिया बनाई गई है। दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष हंसमुख कोडिया और अग्रवाल जैन समाज के अध्यक्ष पवन एम अग्रवाल के साथ सभी समाज जन उपस्थित थे। मुनिश्री द्वारा विधान के लिये अपनी निश्रा प्रदान किये जाने पर रानापुर सकल दिगम्बर समाज मे उत्साह का माहौल है। मुनि श्री के ओजस्वी प्रवचन लाभ के लिए भी बड़ी संख्या ने समाज जन आ रहे है।

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