गुरु बिना ज्ञान नहीं, मोक्ष की राह नहीं, सत्य असत्य की पहचान नहीं : चारित्रकलाश्रीजी

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20160719_104055झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
गुरु हमें अंधियारे में ज्ञान की रोशनी दिखाते है। गुरु की महिमा का बखान करने में शब्द व उपमा हमेशा कमतर ही रहे है। उक्त बात साध्वी चारित्रकला श्रीजी ने गुरु पूर्णिमा महोत्सव में व्यक्त किए। कार्यक्रम महाविदेह मधुकर धाम के सिद्धाचल दर्शन में हुआ। सर्वप्रथम साध्वीश्री ने मंगला चरण दिया। सामूहिक गुरूवंदन मांगीलाल व्होरा ने करवाया। गुरुभक्ति गीत राजेन्द्र तलेरा, डिंपल जैन, रेखा सियाल, मलका तलेरा ने प्रस्तुत किए। गुरुदेव आचार्यदेवेश श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी के चित्र पर 36 बार मंत्रोच्चार के साथ वासक्षेप पूजा व दीप प्रज्जवन किया गया। प्रथम पूजा व दीप प्रज्ज्वलन का लाभ भंसाली परिवार ने लिया। कमलेश नाहर, तरुण सकलेचा, राजेन्द्र सियाल ने गुरुदेव से जुड़े अपने संस्मरण सुनाये। साध्वी ने कहा कि गुरु तत्व को नजदीक से देखो या दूर से, ये हमेशा सुहाना ही लगता है। गुरु हमे जीवन में पर्व दिखाते है। प्रयाण के लिए राह दिखाकर हमारी अंगुली थाम लेते है। वही गुरु हमारे गिर जाने पर हाथ पकड़कर फिर से खड़ा भी कर देते है। उन्होंने कहा कि गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता, मोक्ष की राह नही मिलती, सत्य असत्य की पहचान नहीं की जा सकती। गुरु जयंतसेन सूरीश्वर जी के बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है। जैन समाज में पहली बार हुए इस गुरु पूर्णिमा महोत्सव में समाजजनों ने उत्साह से सहभागिता की। पूर्णिमा महोत्सव लाभार्थी शैतानमल कटारिया व वासक्षेप पूजा के लाभार्थी अशोक भंसाली का बहुमान इंदर मल कटारिया, रमेश नाहर, दिलीप सकलेचा, राजेन्द्र कटारिया ने किया। संचालन कमलेश नाहर ने किया। जानकारी मिडिया प्रभारी ललित सालेचा ने दी।

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