60 किमी दूर बेचने जाने पर किसानों को  लग रहा भारी भरकम भाड़ा

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हरीश राठौड़, पेटलावद

 प्याज हर बार किसानों को रुलाता है। इस बार भी प्याज किसानों को रुला रहा है क्योंकि सरकारी नियमों के चलते किसानों को अपना प्याज बेचने के लिए रतलाम मंडी में जाना पड़ रहा है। किसान परेशान हैं। पहले पेटलावद में पंजीयन करवाओ फिर जाकर रतलाम में तीन दिन तक नंबर लगाकर प्याज तुलवाओ। जब कहीं जाकर भुगतान प्राप्त होगा। इसको लेकर किसानों में आक्रोश है।

किसानों का कहना है कि पेटलावद में प्याज की खरीदी क्यों नहीं की जाती है। सरकार एक ओर तो कहती है हम किसानों का सारा माल खरीदेंगे, वहीं दूसरी ओर प्याज और लहसुन के लिए किसानों को परेशान क्यों होना पड़ रहा है। आखिर सरकार किसानों को उनका असली हक कब प्रदान करेगी।

1 लाख 21 हजार क्विंटल प्याज

पेटलावद तहसील झाबुआ जिले में सर्वाधिक प्याज का उत्पादन करने वाली तहसील है। जहां लगभग 1 हजार किसान प्याज की खेती करते हैं। जिसमें से अभी तक 500 किसानों का पंजीयन मंडी में हुआ। जिसके मान से 1 लाख 21 हजार 500 क्विंटल प्याज की उपज किसानों के पास है। जिसे बेचने के लिए किसानों को राजगढ़ मंडी या रतलाम मंडी में जाना होगा। जिसके लिए किसानों को प्रति किलो का 1 रुपए का खर्च भी लग रहा है। इस प्रकार किसानों को प्याज बेचने के लिए भाड़ा भी लगाना पड़ रहा है और मंडियों में भीड़ होने के कारण दो से तीन दिन तक वाहन सहित रुकना भी पड़ रहा है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। किसान पर सभी ओर से मार गिर रही है।

नहीं बेचने जा रहे हैं

दूसरी ओर किसानों के पास क्विंटलों से प्याज पड़ा है, किंतु समय नहीं है परेशानी अधिक है। मंडी में तीन से चार दिन तक रुक नहीं पा रहे है। वहां की परेशानियों के चलते किसान इस समय प्याज बेच नहीं पा रहे है। कई किसानों ने तो खुले में प्याज रख रखा है और कई ने खेत पर ही रखा है तो कई ने गोदाम में भरकर रखा है। किसानों का कहना है कि भाव कम होने पर बेंचेगे। इसके अलाबा जरूरतमंद किसान भी परेशान हो रहे है। उनका कहना है आज हमे पैसों की आवश्यकता है और माल पड़ा हुआ है आखिर क्या करें।

भावांतर का लाभ मिलेगा

अधिकारियों के अनुसार जो किसान पंजीयन करवाकर मंडी में प्याज बेचने जा रहे है, वे वहां से मंडी द्वारा अधिकृत व्यापारी को माल बेचकर बिल लाते है तो उन्हें भावांतर योजना अंतर्गत प्याज के पैसे दिए जाएंगे। सरकार द्वारा प्याज का मूल्य 8 रुपए प्रति किलो निर्धारित किया गया है। इससे कम में बिकने पर भावांतर योजना का लाभ दिया जाएगा।

पेटलावद में खरीदी क्यों नहीं

किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड़ का कहना है कि आखिर पेटलावद में प्याज की खरीदी क्यों नहीं की जा रही है। किसानों के सामने यह नई समस्या क्यों पैदा की गई। उन्हें अपना प्याज लेकर 50 से 60 किमी दूर बेचने जाना पड़ रहा है। जहां उन्हें भाड़ा भी लग रहा है और दो से तीन दिन तक वहां रहकर खाने पीने का खर्चा भी करना। आखिर सरकार किसानों का हित क्यों नहीं देखती है।

व्यापारी उपलब्ध नहीं है

इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि पेटलावद में भी प्याज और लहसुन की खरीदी प्रारंभ कर देते, किंतु यहां पर प्याज व लहसुन खरीदने वाले व्यापारी नहीं है। जिस कारण से जिले में कहीं पर भी प्याज की खरीदी प्रारंभ नहीं की जा सकी। रतलाम और राजगढ़ मंडी में खरीदी करने वाले बड़े व्यापारी उपलब्ध है। इसलिए वहां पर किसानों को भेजा जा रहा है। इसके साथ ही किसानों का कहना है कि इधर प्याज बेचने के लिए के लिए मंडियों में लाइन लगाओ और इधर बैंको में पैसा पाने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। बैंकों में पैसा नहीं है। सरकार नकद पैसा देती नहीं है। आखिर किसान अपनी घर-गृहस्थी कैसे चलाए।

पंजीयन कर बेचने दे रहे

उद्यानिकी विभाग के सुरेश इनवाती से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि किसानों का पंजीयन कर ही प्याज बेचने जाने दे रहे है। जिससे उनको भावांतर का लाभ मिल जाए। इसके साथ ही पेटलावद मंडी में व्यापारी नहीं होने से बाहर

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