श्रीमद भागवत में नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, जन्मे कान्हा, भक्ति में झूमे भक्त, पुष्पवर्षा की
सलमान शैख़, पेटलावद
धरती पर जब भी पाप और अत्याचार बढ़ा है। तब ईश्वर ने पापियों का नाश किया है। धर्म की स्थापना की है। भक्त की सदैव रक्षा की है। इसके लिए मन और चिंतन से ईश्वर की आराधना करनी होगी। ठीक इसी प्रकार कंस के अत्याचारों को मिटाने के लिए नंद के घर श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। उन्हें अत्याचारों से मुक्त कराया।
यह विचार शाजापुर से आये पंडित श्याम सुंदर जी शास्त्री
शहर के बामनिया मार्ग स्थित दिलीपसिंह पंवार के घर पर आयोजित की जा रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यक्त किये। कथा के चौथे दिन आज सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मना।
नंद बाबा बने श्रद्धालु जब कान्हा बने बालक को कथा स्थल लाए, श्रद्धालु भक्ति में झूम उठे। पुष्पवर्षा से कन्हैया का स्वागत किया।
पण्डित श्री शास्त्री ने कथा के दौरान कहा कंस के काफी अत्याचार बढ़ गए थे इसलिए उन्होंने नंद के घर जन्म लेकर उनके वध की लीला रची। उन्होंने बताया इस दौरान श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्था काल के दौरान भी कई राक्षसों अन्य का संहार कर उन्हें मोक्ष प्रात कराया।
उन्होंने कहा जिस प्रकार से संसार सागर से पार होने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। वैसे ही संसार सागर में अपने जीवन की नौका को सुचारु रुप से चलाने के लिए स्त्री की आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया मनुष्य को कभी ईष्या, द्वेष, कपट, भेदभाव का भावना मन में नहीं लानी चाहिए। इससे मनुष्य कुछ समय तक तो बड़ा बनता है लेकिन समय उसे अपना स्थान जरूर दिखाता है।
धूमधाम से मना श्रीकृष्ण जन्मोत्सव:
जन्म प्रसंग के दौरान जय कन्हैयालाल की गूंज रही। इसी बीच ढोल ढमाके की गूंज के साथ सुपडी में बालरूप मानवेन्द्र सिंह नन्नू बना का कान्हा बन का आगमन हुआ। कथा के अंतिम चरण में भगवान का जन्म वाचन जैसे ही किया नंद के घर आनंद भयो… के जयकारे गंज उठे। भाव विभोर हो श्रद्घालु खूब नाचे भी।
)