हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से मोर की मौत, राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण में प्रशासन उदासीन

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झाबुआ live के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट

प्रशासन की हठधर्मिता से लगी हाईटेंशन लाइन ने राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान ले ली। इस मामले पहले ही सामाजिक कार्यकताओ ने प्रशासन को सचेत किया था , लेकिन किसी ने सुनी नही।नतीजा यह निकला कि डीपी लगने के 24 घंटे के अंदर ही एक मोर की मौत हो गई जबकि दूसरा घायल हो गया। इधर मोरो के सरंक्षण को लेकर प्रशासन गंभीर नही है। दाना पानी के लिये मोरो को तहसील कार्यालय के बाहर तक भटकते हुए देखा जा सकता है।

*पहले ही किया था सचेत*
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर हाईटेंशन लाइन निकालने और डीपी लगाने के श्रद्धालुओं ने विरोध कर इस संबंध में आवेदन देकर प्रशासन को जागृत किया था, लेकिन अधिकारियों ने किसी की नहीं सुनी और विद्युत लाइन को जबरन ऐसी जगह से लिया, जहां पर आए दिन हादसे होंगे। यहां हमेशा मोर पर मौत का खतरा मंडराएगा तथा बड़े आयोजन में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना होने की आशंका रहेगी।

*जवाबदारों ने नही ली सुध*
अब ताजा घटना के बाद अधिकारी मानने को तैयार ही नहीं हैं कि मोर बड़ी लाइन की चपेट में आने से मरा है। एक दिन पूर्व अधिकारियों ने जवाबदारी ली थी कि इस डीपी से किसी प्रकार की कोई दुर्घटना नहीं होगी। डीपी लगने के 24 घंटे के अंदर ही एक मोर की करंट लगने से मौत हो गई, वहीं एक अन्य घायल हो गया। घटना के बाद से जवाबदारों ने सुध तक नहीं ली जबकि जनसुनवाई में विद्युत कंपनी के अधिकारी लिखित में देने को तैयार थे कि इस लाइन से किसी प्रकार की कोई दुर्घटना नहीं होगी। मात्र 24 घंटे में एक दुर्घटना होना और राष्ट्रीय पक्षी की मौत होने के बाद प्रशासन की नींद खुलेगी, इसमें संदेह है। श्रद्धालुओं ने मृत मोर का पशु चिकित्सालय में पोस्टमार्टम करवाया और मांग की कि मौत के लिए जो जवाबदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो।

*चिकित्सकों ने भी करंट को बताया मौत का कारण*

पशु चिकित्सालय के डॉक्टरों ने मोर का पोस्टमार्टम करने के बाद प्राथमिक तौर पर करंट से ही मौत होना बताया। इस मामले में पूरी जानकारी रिपोर्ट आने के बाद ही दी जा सकेगी। इस संबंध में जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से भेंट कर विद्युत अधिकारियों की हठधर्मिता के बारे में बताएगा और डीपी का स्थान और हाईटेंशन लाइन की जगह परिवर्तित करने की मांग भी करेगा।

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