हमारा आपका अंतिम लक्ष्य ही अशरीरी बनना है: प्रवर्तकश्री जिनेंद्र मुनिजी मसा

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सलमान शेख। पेटलावद
अंतिम समय को देखकर ये मत सोचना की शरीर छोडऩा ही है, पर हर समय इस बात का ध्यान रखो कि शरीर को छोडऩा ही है। हमारा आपका अंतिम लक्ष्य ही अशरीरी बनना है और इस लक्ष्य की प्राप्ति में निर्ग्रंथ प्रवचन ही उत्तम साधन है। शरीर की आसक्ति से द्रव्य व पदार्थो में हमारी आसक्ति बड़ती है। वितराग का दिखाया मार्ग ही सही मार्ग है, सभी दुखो का अंत करने वाला है। इस मार्ग पर चारो तीर्थ (साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका) को चलना है और परम लक्ष्य मोक्ष को पाना है।
यह विचार प्रवर्तक श्री जिनेंद्र मुनिजी मसा ने निर्ग्रंथ प्रवचन श्रृंखला पर बोलते हुए व्यक्त किए। आपने आगे कहा ज्ञान-दर्शन-चारित्र आत्मा का स्वभाविक गुण है, तो आधि-व्याधी-उपाधि इसके संताप है। भगवान की वाणी इन तीनो स्वभाव से परिचय कराने वाली व तीनो संताप से मुक्त कराने वाली है। पूज्य रवि मुनि ने कहा धन भरने की लालसा की धर्मस्थान खाली रह जाते है। भौतिक आकंशाए धर्म से दूर करती है। धर्म से जुडऩे से ही जीवन सफल व सार्थक होगा।
प्रथम मासखमण के प्रत्याख्यान किए गए ग्रहण-
मंगलवार को वर्ष 2019 के चातुर्मास के प्रथम मासखमण के प्रत्याख्यान प्रवर्तक श्री के मुखारविंद से मेघनगर निवासी कविंद्र धोका द्वारा ग्रहण किए गए। इस अवसर पर श्रीसंघ पेटलावद द्वारा अभिनंदन पत्र एवं शाल-माला से सम्मान किया गया। श्रीसंघ द्वारा लगाई गई सम्मान की बोली रायपुरिया निवासी कांतिलाल भंडारी ने 33 उपवास एवं मेघनगर निवासी पंकज धोका ने 16 उपवास की बोली लेकर किया। साथ ही 9 उपवास पूर्ण करने वाली चंदनबाला सेठिया का बहुमान 8 उपवास की बोली लेकर सुश्री सोनाली सेठिया ने किया। तपस्या की श्रृंखला में कविंद्र धोका मेघनगर 31, श्रीमती संगीता लोढ़ा 25, कांतिलाल भंडारी 24, ज्योति भंडारी 22, डाली भंडारी 20, अनंत मांडोत 16, ईंदुबाला सोलंकी 13, अमूल मांडोत 11, रागिनी मेहता 10, सोनाली सेठिया ने 6 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। श्रीसंघ द्वारा अध्यक्ष नरेंद्र मोदी, उपाध्यक्ष सोहन चाणोदिया, सचिव नीरज जैन, पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल चाणोदिया, नरेंद्र कटकानी, श्रीसंघ संवाददाता जितेंद्र मेहता आदि ने तपस्वी कविंद्र धोका को अभिनंदन पत्र भेंट किया।

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