हजरत ओढ़ी वाले दाता (रेअ) का उर्स कल से; रोशनी में नहाई दादाजी की दरगाह….

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सलमान शैख़@ पेटलावद
शहंशाहे पेटलावद व दादाजी के नाम से प्रसिद्ध हजरत ओढ़ी वाले दाता (रेअ) के16वें उर्स का आगाज कल 13 जून गुरूवार से संदल व लंगर केसाथ होगा। उर्स में नामचीन कव्वाल पार्टियां कलाम पेश करेंगी, इसके लिए उर्स कमेटी ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है। दरगाह पर सेमरोड़ (झकनावदा) के कलाकारो द्वारा विद्युत बल्बों की झालरों से आकर्षक सजावट कर विशेष विद्युत सज्जा की हैं जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
उर्स कमेटी की माने तो तीन दिनी आयोजन में करीब 5 हजार लोग शामील होंगें। सुबह 8 बजे आस्ताने ओलिया पर कुरआन ख्वानी होगी। जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित होकर एक साथ कुरआन की तिलावत करेंगे। गर्मी को देखते हुए असर की नमाज केबाद गैबनशाह वली दाता (हुसैनी चौक) के आस्ताने से चादर शरीफ का जुलूस निकलेगा। जुलूस में राजगढ़ के बी-जनता बैंड द्वारा मशहूर कलाम पढ़े जाएंगे। चादर का जुलूस नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ आस्ताने औलिया पर पहुंचेगा। जहां संदल और चादर पेश की जाएगी।
*जल है तो कल है का देंगे संदेश-*
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जुलुस में खास बात यह रहेगी कि जुलूस में समग्र मुस्लिम समाज जल है तो कल है का संदेश देते हुए निकलेंगे। क्योंकि क्षैत्र सूखाग्रस्त घोषित है और आने वाले दिनो में क्षैत्रवासियो को और जलसंकट से जूझना पड़ सकता है इसलिए पानी की एक-एक बूंद बचाने और पानी का कम इस्तेमाल करने की अपील के साथ ही सांप्रदायिक एकता का संदेश दिया जाएगा।
*कई जगहो से पहुंचते है जायरीन-*
उर्स के दौरान राजस्थान, इंदौर, उज्जैन, बडऩगर, झाबुआ, रतलाम, धरमपुरी, मण्डलेश्वर, धामनोद, जावरा, धार, सरदारपुर, राणापुर, जोबट, मेघनगर, थांदला, बड़वानी, अमझेरा, मानपूर, गुजरी, मुल्थान, रूनिजा, काछिबड़ोद, दाहोद क्षेत्र से भी जायरिन यहां मन्नते पूरी होने पर अपनी हाजरी देते हैं।
*कल तकरीर होगी तो कल कव्वाली-*
कल गुरूवार रात 9 बजे मिलाद शरीफ क आयोजन रखा गया है। जिसमें थांदला के मौलाना ईस्माइल साहब और शहर के हापीज अब्दुल कादी रिजवी तकरीर फरमाएंगे। वहीं परसो शुक्रवार रात 9 बजे बाद शुरू होने वाले महफिले सिमां कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध कव्वाल हाजी मुकर्रम वारसी, भोपाल (मप्र) और युसूफ-फारूख, जावरा (मप्र) की कव्वाल पार्टियां प्रस्तुति देगी।
*पूरी होती हैं जायज तमन्ना:*
हजरत ओढ़ी वाले दाता की दरगाह करीब 300 साल पुरानी प्राचीन बताई गई है। आपका मजार कदीमी होकर हर जाति व धर्म को मानने वाले यहां अपनी जायज तमन्नाओं को लेकर आते है और मुराद पूरी होने पर अकीदत के फूल चढ़ाते हैं। हजरत के उर्स की महफिल की रौनक बढ़ाने के लिए कई बुजुर्ग और सूफी-संत यहां तशरीफ ला रहे हैं। आपके आस्ताने का नूरानी और चिश्ती स्वरूप हर किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेता है। हजरत के मजार पर विगत १3 वर्षो से उर्स का प्रोग्राम किया जा रहा हैं।
*सांप्रदायिक एकता का प्रतीक:*
पंपावती नदी के किनारे स्थित दरगाह न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि अन्य धर्म के लोगों के लिए भी आस्था और शांति-सोहार्द्र का केंद्र माना जाता है। जिससे यह स्थान हिंदू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक हैं। यहां होने वाले उर्स में कई राज्यों से भी श्रद्धालु अपनी मन्नते लेकर आते हैं।

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