हक की रोटी सभी को मिले, दूसरों के अधिकार न छीने जाए : मुनिश्री चेतन्य

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
अणुव्रत सम्प्रदायातीत मानव धर्म है, व्यक्ति विशेष के लिए नहीं अपितु समग्र मानव जाति के हितार्थ नैतिक एवं चारित्रिक उन्नयन का आंदोलन है, नैतिकता की आंख व चारित्र की पंख से राष्ट्र का विकास संभव है, स्वयं आचार्य तुलसी ने हजारों किलोमीटर की पदयात्रा कर के जन जन में नैतिकता और चारित्रिक उत्थान के लिए प्रयास किया था। कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से कोलकाता यात्रा, नेपाल व भूटान आदि प्रांतों में उनके ग्यारहवें पट्टधर आचार्य महाश्रमण ने अपने सैकड़ों जीवनदानी कार्यकर्ताओं के साथ नैतिकता, नशा मुक्ति अभियान के साथ यात्रायित है. आवश्यकता है राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक अणुव्रत की भावनाओं को आत्मसात करे। उक्त विचार अणुव्रत उद््बोधन सप्ताह के प्रथम दिन अणुव्रत समिति के तत्वाधान में तपोमूर्ति मुनिश्री पृथ्वीराज जसोल ने अणुव्रत पे्ररणा दिवस पर डालिम विहार में धर्मसभा में कहे।
मुनिश्री चेतन्य कुमार अमन ने कहा कि अणुव्रत व्यक्ति की विचारधारा बदलने का सशक्त आधार है। समस्याओं का स्थायी समाधान है. महावीर कालीन गृहस्थ धर्म की आचार संहिता है। शोषण मुक्त समाज का स्वरूप है, परिवार नियोजन का स्वस्थ आधार है। मानवीय एकता की दिशा में सद प्रयास है, नैतिक मूल्यों की स्थिरीकरण का सदउपयोग है। संस्कार निर्माण की प्रयोग शाला है, अर्थनीति, राजनीति पर धर्मनीति का अंकुश है, आज राजनीति में राज तो है पर नीति नहीं है। इसलिए राज्य के सम्यक संचालन के लिए अणुव्रत धर्म का अंकुश आवश्यक है। मुनि अतुल कुमार ने कहा- राष्ट्र नशा, झूठ व गुस्से से मुक्त हो,अणुव्रत यही तो कहता है, हक की रोटी सबकों मिलनी चाहिए। दूसरे के अधिकारों को छीनने का प्रयास कोई न करे, यह तभी संभव है जब व्यक्ति में सामाजिक और राष्ट्रीयता की भावना जागे।
मुनिवर के नवकार मंत्र के पश्चात अणुव्रत समिति के मंत्री सचिन मुणत ने अणुव्रत गीत से मंगलाचरण किया. कार्यक्रम अध्यक्षता सुरेंद्र मेहता, मुख्य अतिथि मुकुट चौहान, तेरापंथ सभा के अध्यब झमकलाल भंडारी ने विचार प्रस्तुत किए। अणुव्रत समिति अध्यक्ष बसंतीलाल पटवा ने स्वागत किया। अलीराजपुर से आए शेलेंद्रसिंह आदि अतिथियों को साहित्य से सम्मानित किया . संचालन पंकज जे पटवा ने किया और आभार जीवन भंडारी ने माना।

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