सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाला मंशा महादेव व्रत

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सारंगी, जीवनलाल राठौड़
मंशा महादेव व्रत गुरुवार से प्रारंभ हो गया है। यह मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य की समस्त इच्छाओ को भगवान शिव पूर्ण करते है। इस वर्ष यह व्रत गुरुवार से शुरू हुआ है।
यह व्रत श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी से प्रारंभ होता है। जो कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी को समाप्त होता है। यह व्रत 4 माह तक चलता है और इस व्रत को करने वाले भगवान शिव की पूर्ण विधि-विधान से पूजा करते हैं और यह व्रत चार साल तक किया जाता है,उसके बाद इस का उद्यापन होता है। कई भक्तगण इस व्रत की महिमा से इतने प्रभावित होते हैं कि इसे आजीवन करने का प्रण लेते हैं।

मंशा महादेव व्रत का इतिहास
इस व्रत की महिमा इतनी अपार है कि इसे स्वयं भगवान इंद्र ने किया था मंशा महादेव व्रत की कथा में यह वर्णन आता है कि  भगवान इंद्र जब चंद्रमा के श्राप  से कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए थे तो उन्होंने यह व्रत कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी।इसी तरह माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था।शिव जी के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने भी यह व्रत किया था कार्तिक भगवान ने इस व्रत की महिमा मंसाराम ब्राह्मण नामक व्यक्ति को बताई थी जिसके द्वारा व्रत करने से उसे अवंतिकापुरी के राजा की कन्या पत्नी के रूप में प्राप्त हुई थी।
मंशा महादेव व्रत पूजन विधि
सारंगी के शिव मंदिर के पुजारी श्री मदन गिरी गोस्वामी ने हमें बताया की सावन माह के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी के दिन भगवान शिव के मंदिर पर शिवलिंग का पूजन करें मूशा महादेव व्रत के लिए भगवान शिव व नंदी का बना हुआ तांबा या पीतल का सिक्का बाजार से खरीद लाए। इसे स्टील की छोटी-सी डिब्बी में रख ले। मंदिर पर शिवलिंग का पूजन करने से पहले सिक्के का पूजन करें। फिर शिवलिंग का पूजन करें और सूत का एक मोटा कच्चा धागा ले। अपने मन की इच्छा महादेव को कहते हुए इस धागे पर चार ग्रंथि (गठान) लगा दे। फिर मंत्रोचार के साथ संकल्प छोड़ दे और कथा का श्रवण करें इसके बाद भगवान शिव का भोग लगाकर उनकी आरती उतारे। इस तरह चार माह में हर सोमवार को शिवलिंग और सिक्के की पूजा करें। इसी के साथ हर रोज भगवान मनसा महादेव व्रत की कथा पूजन के बाद श्रवण करें इस तरह चार माह में हर सोमवार को शिवलिंग और सिक्के की पूजा करें।
व्रत उद्यापन विधि
यह व्रत चार माह तक करने के पश्चात व्रत का उद्यापन कार्तिक माह की विनायकी चतुर्थी के दिन करें। इस दिन धागे पर लगी हुई (ग्रंथि) गठान छोड़ दे और इसके बाद उद्यापन में चार सेर आटा, सवा सेर गुड़,  सेर घी का चूरमा बनाकर महादेव को भोग लगाया जाता है। इसके बाद चूरमे के चार हिस्से किये जाते हैंं। इसमेंं एक हिस्सा महादेव, दूसरा हिस्सा गाय के गुवार का , तिसरा हिस्सा  चींटी का,चौथा हिस्सा प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैंं। व्रत करने वाले इस दिन चूरमे व दही से ही व्रत खोलते हैंं। व्रत के प्रसाद को रात में नहीं रखा जाता है।
4 वर्षों तक करें व्रत
पंडित मदन गिरी गोस्वामी ने बताया कि भगवान शिव का यह व्रत चार वर्ष का रहता है,कोई चाहे तो इसे आजीवन कर सकता है। हर वर्ष यह व्रत सिर्फ चार महीने करना है। इस व्रत को करने से भगवान शिव बड़ी से बड़ी मन की इच्छा की पूर्ति करते हैं। सावन से कार्तिक माह तक के हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा करें सोमवार को शिवलिंग को दूध दही से स्नान कराएं फिर शिवलिंग पर चंदन,अबीर,गुलाल,रोली,चावल, बेलपत्र और फूल माला शिवलिंग पर चढ़ा दे। इसी तरह व्रत के सिक्के की पूजा करें व्रत के पहले दिन धागे पर ग्रंथि (गठान) है,उसे सिक्के के पास ही रखें व्रत के समापन के दिन ही उस धागे की ग्रंथि खोल दे।
यह चीजें हैं वर्जित
इन चार महीने में भगवान शिव की पूरे ध्यान से पूजा करें ओर व्रत के दौरान जमीन पर ही शयन करें। मांस,मदिरा और नशीली चीजों से दूर रहे। ब्रह्माचार्य का पालन करें। व्रत के चार माह के दौरान सूतक वाले के घर ना जाए। यह नियम रखने से भगवान शिव आपकी इच्छाएं जल्दी पूरी कर देंगे

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